फर्रुखाबाद: नारी की भूमिका की तो किसी परिचय की जरूरत नहीं है। सबको पता है कि 1857 के महान विद्रोह की नायिका एक नारी ही थी। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का वह घटनाचक्र स्त्री-पुरुष के संयुक्त संघर्ष का अद्भुत संयोग था।
भारत की भूमि पर जहां गार्गी, लोपामुद्रा, मैत्रेयी, अनुसुइया, गांधारी और सावित्री जैसी विदूषी महिलाओं ने जन्म लिया तो वहीं मातृभूमि पर मर मिटने वाली महान नारियां भी कम नहीं हैं। रजिया सुल्तान, महारानी पद्मिनी, रानी लक्ष्मीबाई, रानी दुर्गावती, रानी अवंतीबाई, बेगम हजरत महल, बेगम जीनत महल की तरह अनेेक नाम हैं जिनका अप्रतिम शौर्य, साहस और बलिदान कभी भुलाया न जा सकेगा।
स्वतंत्रता संग्राम का दौर हो या वर्तमान का महिलाओं के लिये परिस्थिति कभी सामान्य नहीं रही और हर दौर में महिलाओं ने अपने शौर्य और योग्यता की कड़ी परीक्षा दी। रानी अवंतीबाई ने परतंत्र की बेडिय़ों में जकड़े रहने से अच्छा रणभूमि में आजादी की मौत मरना स्वीकार किया। महलों की चार दिवारी से निकलकर अंगरेजों के खिलाफ हथियार उठाकर अपनी मातृभूमि की रक्षा की। रानी अवंतीबाई की कुर्बानी आज भी यह याद दिलाती है|
आज शहर क्षेत्र के रेलवे रोड स्थित अनन्त होटल में लोधी समाज के लोगों ने केक काटकर रानी अवंतीबाई का १८१वा जन्मदिवस बड़ी धूमधाम से मनाया| जिलाध्यक्ष राधेश्याम राजपूत ने मांग की कि संसद भवन के पास रानी अबंतीबाई की प्रतिमा लगवाई जाए|
इस दौरान उर्मिला राजपूत, सभासद जौली राजपूत, जिलाध्यक्ष राधेश्याम राजपूत, रीता राजपूत, ईश्वर दयाल राजपूत, जेमिनी राजपूत, पुष्पेन्द्र राजपूत, अंचल राजपूत, सतीश वर्मा आदि लोग मौजूद रहे|