मांस में लगने वाला इंजेक्शन सीधे नस में दे दिया गया?

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फर्रुखाबाद: पोस्टमार्टम प्रक्रिया से जुड़े सूत्रों की माने तो डा. प्रियंका पाण्डेय के शरीर पर पाये गये निशानों के अनुसार हाथ की नस में “विग्गो” के निशान पाये गये हैं।

नर्सिंग होम के डाक्टर के अनुसार प्रियंका को “डायनापार” इंजेक्शन लगाया गया था। यह इंजेक्शन Troikaa   Pharmaceuticals Limited कंपनी का है। इस दवा के संबंध में निर्माता कंपनी ने स्वयं ही इसे मांस में(Intra Muscular) लगाये जाने के निर्देश स्पष्ट रूप से दे रखे हैं। सवाल यह है कि कहीं महिला डाक्टर की मौत का कारण इस इंजेक्शन को नस में लगा दिया जाना तो नहीं है।

डायनापार इंजेक्शन के साथ दिये गये निर्देशों में स्पष्ट रूप से लिखा है कि यह इंजेक्शन केवल बांह या पुट्ठे पर लगाया जाना चाहिये अथवा इसे ड्रिप के साथ मिलाकर दिया जाना चाहिये (it can be administered by intradeltoid route, intragluteal and and also alongwith i.v. infusion of normal saline and dextrose 5%)।

चिकितसा विशेषज्ञों के अनुसार नानस्टीरायेड एंटी इनफलामेटरी ड्रग्स (दर्द निवारक दवा) के इलर्जिक रिएकशन की स्थिति में कार्डियक अर्रेस्ट (दिल की धड़कन बंद हो जाना), विसरा (तिल्ली, दिल व यकृत) में सूजन आ जाने एवं श्वसन व रक्तसंचार प्रणाली में में झटके के साथ सिकुड़न जैसी स्थिति बन सकती है। एसी स्थिति में मस्तिष्क केवल तीन मिनट तक जीवित रहता है। इस दौरान यदि मरीज को एडरलिनीन जैसी दवा मिल जाये तो मरीज के बचने की संभावना रहती है। इसी लिये सभी इंजेक्शन केवल अस्पताल में भर्ती मरीज को डाक्टर की उपस्थिति में ही दिये जाने का प्राविधान है, जिससे इमरजेंसी रियेक्शन की स्थिति में उस पर काबू किया जा सके।

परंतु अब यह विशेषज्ञों के लिये शोध का विषय तो हो सकता है कि गरीब प्रियंका के साथ क्या हुआ होगा, या क्या होता तो क्या न होता। परंतु वह बेचारी तो अब जान से जा चुकी है।