फर्रुखाबाद: पूर्व सीएमओ डॉ पोरवाल ने जिलाधिकारी के निर्देश पर एक माह पूर्व प्राइवेट नर्सिंग होम और अस्पतालों पर छापा मार मानको की चेकिंग के लिए योजना बनायीं थी| नर्सिंग होम पर छापा मारने की बात पता चलते ही जनपद का इंडियन मेडिकल एशोसियेशन ने दबाब बनाकर तत्कालीन मुख्या चिकित्सा अधिकारी को बैकफुट पर जाने को मजबूर कर दिया था| क्या इंटर और हाई स्कूल फेल जैसे अप्रशिक्षित लोगो से कंपाउडर का काम लेकर जनता की जिन्दगी से खिलवाड़ करना चाहता है IMA? आखिर क्यूँ?
काश की अगर पिछले माह नर्सिंग होम्स पर स्वास्थ्य विभाग अपने तय कार्यक्रम के अनुसार छापेमारी कर लेता तो शायद एक डॉक्टर की मौत बच जाती| मगर स्वास्थ्य विभाग पर दबाब बनाकर इंडियन मेडिकल एशोसियेशन ने उस छापामारी को रुकवा लिया था| ये मानते हुए भी कि उनके पास मानक के अनुरूप अस्पताल चलाने के लिए प्रशिक्षित स्टाफ नहीं है इसे स्वास्थ्य विभाग ने कबूल भी कर लिया| IMA की दलील थी कि कम समय में प्रशिक्षित स्टाफ उपलब्ध नहीं हो पायेगा इसलिए छापामारी न कर समय दिया जाए? आखिर कितना समय चाहिए इन अस्पतालों और इंडियन मेडिकल एशोसियेशन के सदस्यों को| दसियों वर्षो से इन्ही हालातो में नर्सिंग होम्स चला रहे डॉक्टर मरीजो से पैसे तो गन्ने की तरह निचोड़ कर वसूल लेते है किन्तु सुविधाओं के नाम पर कंजूसी कर अपनी तिजोरियां भरने में लगे रहते है| आखिर 1000 – 2000 रुपये में कोई प्रशिक्षित स्टाफ तो रहेगा नहीं| और ज्यादातर नर्सिंग होम में यही सेलरी सिस्टम है| आखिर कब तक ऐसा होगा?
क्या इंडियन मेडिकल एशोसियेशन डॉ प्रियंका को जिन्दा कर सकेगा?
उधर सहायक मुख्या चिकित्सा अधिकारी डॉ राजवीर ने जेएनआई को बताया की उनकी मुख्या चिकित्सा अधिकारी से बात हो गयी है| कल ही सिटी हॉस्पिटल में अप्रशिक्षित स्टाफ से अस्पताल चलाने के लिए नोटिस जारी किया जायेगा| और इसी के साथ नर्सिंग होम्स पर छापामारी भी शुरू की जाएगी|