फर्रुखाबाद: चोरी और सीनाजोरी। मिसाल पुरानी है, पर इसका ताजा उदाहरण सबसे रोचक है। तहसीलदार सदर ने मृत लाभार्थियों के नाम चेकें बनायी और उनके लेखपाल व कानूनगे ने बाकायदा मृत लाभार्थियों के अंगूठों की तस्दीक करके चेक भी बांट दिये। पर जब मामला फसा तो इन्हीं मृतकों के विरुद्ध धोखाधड़ी की एफआईआर दर्ज करादी।
बाढ़राहत घोटाले में तहसील सदर के कई अधिकारी व कर्मचारी गले तक नपते नजर आ रहे हैं। विदित है कि तहसील सदर के फर्जी चेकों के माध्यम से हुए इस राहत घोटाले में तत्कालीन तहसीलदार इस्लाम मोहम्मद ने 20 ग्रामीणों सहित इक्कीस व्यक्तियों के खिलाफ 15 अप्रैल 2011 को मुकदमा दर्ज कराया था। मुकदमे में इलाहाबाद बैंक बढ़पुर शाखा के प्रबंधक भी नामजद थे। इस प्रकरण में अब तक सुनील कुमार, संजीव कुमार, जयवीर व ऋषिपाल को जेल भेजा गया। पुलिस ने जांच के बाद इन चारों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दी।
घोटाले के संबंध में पुलिस में दर्ज एफआईआर की तफतीश मे जो तथ्य सामने आये हैं, वह काफी चौंकाने वाले हैं। घोटाले के संबंध में हुई जांच के बाद तहसीलदार ने जो एफआईआर दर्ज करायी थी उसके मुल्जिमों की तलाश में गयी पुलिस को पता चला कि नौलक्खा निवासी छदामी लाल तथा कटरी धर्मपुर निवासी टीकाराम नामक दो ग्रामीण तो लग।भग दस वर्ष पूर्व ही मर चुके हैं। मजे की बात है कि लेखपालों व कर्मचारियों ने इन मृत लाभार्थी के नाम की चेकों पर बाकायदा अंगूठा निशानी प्रमाणित किया। इन चेकों पर तहसीलदार ने हस्ताक्षर किए हैं। लेखपाल विनोद कुमार व मानसिंह ने चेक वितरित किए। छदामीलाल के बैंक चेक पर कानूनगो गंगाशरण ने भी अंगूठा प्रमाणित किया। तहसील के बाबू प्रतिपाल सिंह की भी घोटाले में भूमिका संदिग्ध लग रही है।