1000 करोड़ का काला कारोबार होता है बीएड शिक्षा के बहाने

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फर्रुखाबाद: उत्तर प्रदेश में बीएड डिग्री की शिक्षा में सरकार द्वारा निर्धारित फीस लेने की बजाय मनमाने ढंग से फीस वसूलने का कारोबार लगभग एक हजार करोड़ का होता है| सरकार के तमाम दावो और रोकने के प्रयास के बाबजूद कॉलेज प्रबंधन छात्रो से बिना किसी लिखापढ़ी के ये धन उगाही करते है| सबसे बड़ी बात ये है कि इस काली कमाई में जमकर टैक्स की चोरी भी होती है जिसका सरकार के पास कोई हिसाब किताब नहीं हो पता|

उत्तर प्रदेश में कुल 1015 कॉलेज में बीएड की शिक्षा दी जाती है| इनमे से 103 कॉलेज सरकारी सहायता प्राप्त है| 4 महाविद्यालय उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा संचालित है और 908 महाविद्यालय स्व वित्त पोषित है| इन महाविद्यालयों में ज्यादातर में 200 सीटे व् कुछ में 100 सीटे है| इन महाविद्यालयों में छात्रो से 50 हजार से एक लाख तक का लक्ष्य रखकर फीस अवैधानिक रूप से वसूली जाती है|

प्रदेश की विभिन्न यूनिवर्सिटी की वेबसाईट पर छात्रो को अधिकतम 28000 फीस चुकाने का नियम चस्पा रहता है| ये फीस भी छात्रो से काउंसलिंग के दौरान जमा करा ली जाती है ताकि बच्चो पर दबाब बनाकर कॉलेज में कोई फीस न वसूल पाए| मगर ये कवायद भी तब बेकार चली जाती है जब कॉलेज न्यायालय से कोई अस्पष्ट सा आदेश लाकर छात्रो और स्थानीय जिला प्रशासन को गुमराह करने में लग जाते है| इसके बाद सरकार भी अपना कोई स्पष्ट आदेश जारी कर मामला साफ़ करने की कवायद नहीं करती है और अवैध फीस वसूली का काला कारोबार खुलेआम हो जाता है|

शिक्षा के मन्दिरों को चलाने के लिए एक एनजीओ बनाकर स्कूल कॉलेज खोल इसे किसी कारपोरेट सेक्टर की तरह संचालित किया जा रहा है| घर परिवार के सदस्य एनजीओ की समिति के सदस्य बन जाते है और जनता से पैसा उगाह कर न केवल टैक्स की चोरी करते है बल्कि सरकार की नजरो में भी धूल झोकते है|