पान मसाला उत्पादकों पर पड़ी बरसात की मार

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फर्रुखाबाद: सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर प्लास्टिक की जगह कागज की पैकिंग में पान मसाला बनाकर बेच रहे पान मसाला उत्पादकों पर मानसून के कारण हो रही बारिश कहर बनकर टूट रही है क्योंकि कागज की पैकिंग में पैक पान मसाला दुकानदार और व्यापारियों तक पहुंचते-पहुंचते खराब हो जा रहा है। इसलिए शहर के करीब आधा दर्जन पान मसाला उत्पादकों ने अपना उत्पादन बंद कर आबकारी विभाग को बंदी का नोटिस दिया है।

पान मसाला उत्पादकों का कहना है कि चूंकि पान मसाला व्यापारी और दुकानदार लगातार यह शिकायतें कर रहे थे कि बारिश के कारण हुई नमी से उन्हें कागज की पैकिंग में जो पान मसाला मिल रहा है उसके अधिकतर पाउच या तो फटे होते है या उसमें से खराब पान मसाला मिलता है जिसको ग्राहक लेने में आनकानी करता है, इसलिए कुछ दिनों के लिये पान मसाला का उत्पादन बंद कर दिया गया है।

किराना व्यापार मंडल के अध्यक्ष और एक प्रमुख पान मसाला ब्रांड के उत्पादक राकेश अग्रवाल ने बताया कि बारिश में नमी के कारण कागज की पैकिंग में लगतार पान मसाले की गुणवत्ता घटने की रिपोर्ट आने के बाद तलब, संजोग, वाह, तिरंगा, राजश्री आदि कंपनियों ने आबकारी विभाग को फिलहाल 15 दिन का बंदी का नोटिस दिया है।

पान मसाला इकाइयों ने बताया है कि उन्हें प्रति मशीन साढ़े बारह लाख रूपए प्रति माह केन्द्रीय उत्पाद के मद में देने पड़ते हैं। ऐसे में अगर वे बंदी का नोटिस नहीं देते तो उनकी फैक्ट्रियों में काम होता या न होता, उन्हें साढ़े बारह लाख रुपए प्रति माह प्रति मशीन विभाग को देने ही पड़ते।

देश के पान मसाला व्यवसाय का एक बड़ा केन्द्र कानपुर है। पान पराग जैसा ब्रांड इसी शहर की देन है। इसके अलावा छोटी बड़ी 400 पान मसाला, गुटखा और खनी आदि की इकाइयां इसी शहर में है और एक अनुमान के मुताबिक कानपुर से प्रति वर्ष 400 करोड़ रूपये के गुटखे और पान मसाले का कारोबार पूरे देश में होता है। इसी कारण यहां पर पान मसाले की पैकिंग आदि से जुड़ी कंपनियां भी हैं। शहर में 70 से 80 पान मसाले की प्लास्टिक पाउच पैकेजिंग इकाइयां हैं जिसमें करीब 15 हजार मजदूर काम करते हैं।