जिला पंचायत बैठक में खूब चले सदस्यों के चमचे, अधिकारी नदारद

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फर्रुखाबाद: जिला पंचायत की गुरुवार को हुई बैठक औपचारिकता या सपाट शब्दों में मखौल बन कर रह गयी। पहले तो वर्षा के कारण बैठक निर्धारित समय से लगभग दो घंटे बाद शुरू हुई। उसमें भी अनेक जिला स्तरीय अधिकारी नदारद रहे। जिला पंचायत सदस्यों के साथ आये चमचे बैठक में खूब चमके और बैठक में आकर फंसे अधिकारियों के गले पड़े। जिला पंचायत अध्यक्ष ने अधिकारियों की अनुपस्थिति  पर गहरी नाराजगी व्यक्त की।

गुरुवार को सुबह से ही हो रही रिमझिम वर्षा के कारण विकास भवन सभागार में जिला पंचायत की बैठक निर्धारित समय से लगभग दो घंटे विलंब से अपराह्न एक बजे शुरू हो सकी। बैठक में अनेक वरिष्ठ जिला स्तरीय अधिकारी नदारद रहे। जिला वन अधिकारी के स्थान पर जब एक डिप्टी रेजर बोलने खड़े हुए तो उनके मुह से बोल नहीं फूट रहे थे। जनपद में तीन-तीन जिला पंचायतराज अधिकारियों की तैनाती के बावजूद जब एक भी बैठक में नजर नहीं आया तो सीडीओ द्वारा नाराजगी व्यक्त किये जाने के पर परियोजना अधिकारी के फोन के बाद डीपीआरओ रामजियावन बैठक में आये। बाढ़ के मुद्दे पर चर्चा के लिये अधिशासी अभियंता सिंचाई की खोज की गयी परंतु वह भी नदारद निकले। आखिर जिला पंचायत अध्यक्ष तहसीन सिद्दीकी ने इस स्थिति पर गहरी नाराजगी व्यक्त की और माइक से ही सीडीओ से अनुपस्थित अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई को कहा। इस दौरान जो अधिकारी बैठक में मौजूद रहे उनकी आफत रहीं। एक तो उनकी समीक्षा भी काफी विस्तार से हुई, दूसरे जिला पंचायत सदस्यों के साथ आये उनके चमचे टाइप के लोगों ने भी बैठक के दौरान अधिकारियों पर जमकर रोब गालिब करने का प्रयास किया। मजे की बात है कि इनमें सें अनेक तो आये दिन विभिन्न कार्यालयों में कामों के लिये चक्कर लगाते नजर आते हैं।

बैठक के दौरान मुख्य चिकित्साधिकारी डा. पीके पोरवाल ने पल्स पोलियों अभियान का राजूपुर सहित कई क्षेत्रों में विकास कार्यों को मुद्दा बना कर किये जारहे बहिष्कार पर चिंता जताई व मौजूद अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों से इस दिशा में सहयोग किये जाने की अपेक्षा की। अधिशासी अभियंता जलनिगत गंगा सिंह ने बताया कि 67  लाख से अधिक प्राप्त बजट के सापेक्ष अभी तक 350 नये हेंडपंप लगाये जा चुके हें व इतने ही रिबोर किये जा चुके हैं। जिला पंचायत अध्यक्ष द्वारा कुछ हेंडपंप जिला पंचायत सदस्यों के प्रस्ताव के आधार पर भी लगवाने की बात कही तो अधिशासी अभियंता ने पहले मानक व बाद में बजट का बहाना बना कर मामला रफा दफा कर दिया। मनरेगा योजना के अंमर्गत वन विभाग को दी गयी धनराशि के उपयोग के संबंध में सांसद प्रतिनिधि के तौर पर मौजूद अनिल मिश्रा ने कहा कि इस बात का विशेष घ्यान रखा जाये कि मजदूर उसी गांव के लिये जायें जाहां काम कराया जाये।