विशिष्ट व बीटीसी शिक्षकों की तैनाती में भी खेल

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70 नये शिक्षको की नियुक्ति के बावजूद 4 स्कूल बंद ही रह गये:

फर्रुखाबाद: बेसकि शिक्षा अधिकारी डा. कौशल किशोर ने बुधवार को बीटीसी 2004 के 39 व विशिष्ट बीटीसी 2007 व 2008 के 31 शिक्षकों की नियुक्ति कर दी। मजे की बात है कि इतने शिक्षकों की नियुक्ति के बावजूद जनपद के बंद चल रहे आधा दर्जन स्कूलों में से चार फिर भी नहीं संचालित हो सके। आगरा व मेरठ निवासी अनेक महिला शिक्षिकायें दूरस्थ, दुर्गम विद्यालयों में भेजी गयी है। इसके पीछे पैसा न मिलपाने से अधिक इन शिक्षकाओं को अक्सर गायब रहने की सुविधा देने के लिये मनमाफिक विकल्प भरवालिये जाने की बता कही जा रही है।

बेसिक शिक्षा अधिकारी द्वारा बेसिक शिक्षा परिषद को भेजी गयी विद्यालयों में अध्यापकों की स्थिति के अनुसार जनपद के आधा दर्जन विद्यालय ही शिक्षक विहीन होने के कारण बंद की श्रेणी में हैं। नियमानुसार नये शिक्षकों की नियुक्ति के समय पहली प्राथमिकता बंद विद्यालयों के संचालन की होती है। नयी नियुक्ति के समय शिक्षक के सामने विकल्प भी सीमित होते हैं। नयी नौकरी के चक्कर में शिक्षक जाकर विद्यालय में योगदान भी करते हैं। परंतु बेसिक शिक्षा विभाब का खेल देखिये कि 70 नयी नियुक्तियों के बावजूद आधा दर्जन बंद विद्यालय भी संचालित नहीं हो सके। मात्र दो बंद विद्यालयों को ही अध्यापक नसीब हो सके हैं। जबकि विकास खंड मोहम्म्दाबाद के सितवनपुर व उनापुर विद्यालय, नवाबगंज का नहरोसा व राजेपुर का अलेपुर विद्यालय में किसी अध्यपाक की नियुक्ति नहीं की गयी है। तर्क यह दिया जा रहा है कि आगे समायोजन होने जा रहा है, उसमें शिक्षक तैनात कर दिये जायेंगे। यह भी नहीं है कि इन विद्यालयों में छात्र नहीं है। सितवनपु व उनापुर में तो छात्र संख्या डेढ़ सौ से अधिक है। अलेपुर में एक सैकड़ा छात्र पंजीकृत हैं। नहरोसा में भी आधा सैकड़ा छात्र हैं।
महिला शिक्षकों की सुरक्षा और सुविधा को ध्यान में रखते हुए उनको यथा संभव सड़क के किनारे के विद्यालय दिये जाने के निर्देश हैं। इसके बावजूद आधा दर्जन से अधिक महिलाओं को दुर्गम व दूरस्थ स्कूल दिये गये हैं। आगरा, मेरठ, हाथरस, गाजियाबाद व बागपत जैसे दूरस्थ जनपदों की निवासी कई महिला शिक्षक दूरस्थ विद्यालय भेजी गयी हैं। इसके पीछे भी खेल बताया गया है। विदित है कि बेसिक शिक्षा विभाग में ठेके पर नौकरी कराने का पुरानी परंपरा है। संबंधित अधिकारी जानबूझ कर दूसरे जनपदों में रहने वाली महिला शिक्षकों को दूरस्थ स्कूल दे देते हैं, जहां निरीक्षण के लिये न तो स्वयं जाते हैं और न ही किसी बाहरी वरिष्ठ अधिकारी को सामान्यतय: जाने देते हैं। यदि कोई सिरफिरा अधिकारी न माना तो उस दिन का अवकाश दिखाकर मामला शांत कर देते है। इन दूरदराज के जनपदों की महिला शिक्षकों की दूरस्थ तैनाती को इसी खेल की पहली चाल माना जा रहा है।