_शिक्षा का अधिकार को भी बना दिया मखौल
फर्रुखाबाद: स्कूल खुलने में मात्र दो दिन शेष बचे हैं, और इन नौनिहालों के लिये नि:शुल्क पाठ्य पुस्तकें नदारद हैं। सूत्रों की मानें तो अभी पूरा क्रय आदेश ही नहीं गया है। पाठ्य पुस्तकों के लिये डिप्टी बीएसए व सहायक लेखाधिकारी की समिति बना दी गयी है, परंतु इन अधिकारियों को भी पाठ्य पुस्तकों के बारे में कोई जानकारी नहीं है कि कितनी किताबों का क्रय आदेश दिया गया है, और किताबें कब आनी हैं।
विदित है कि प्रदेश सरकार ने केंद्र के शिक्षा के अधिकार अधिनियम को आंगीकार कर लिया है। पहली जुलाई से स्कूल खुल रहे हैं। परिषदीय विद्यालयों के छात्रों को सरकार की ओर से नि:शुल्क पाठ्य पुस्तकें दिये जाने की सर्व शिक्षा अभियान के अंतर्गत व्यवस्था है। परंतु स्थिति यह है कि अभी तक जनपद स्तर पर पाठय पुस्तकों की उपलब्धता तो दूर पूर क्रय आदेश ही नहीं गया है। जाहिर है कि ऐसे में नौनिहालों के बस्ते फिलहाल तो खाली ही रहेंगे। यह स्थिति कितने दिन चलेगी कहना मुश्किल है।
प्रदेश में शिक्षा का अधिकार लागू कर दिये जाने के बावजूद प्रशासनिक अमले की मानसिकता में कोई परिवर्तन नहीं आया है। परिषदी विद्यालयों में पढ़ने वाले छात्र छात्राओँ के लिये सर्व शिक्षा अभियान के अंतर्गत नि:शुल्क पाठ्य पुस्तकें, बस्ते व यूनिफार्म तक का प्राविधान है परंतु ऊपर से नीचे तक व्याप्त मनमानी और अव्यवस्था के चलते इन सुविधाओँ की गुणवत्ता और उपलब्धता दोनों ही इन्हें निष्प्रभावी बना देती हैं।
इस संबंध में जानकारी करने के लिये जिला बेसकि शिक्षा अधिकारी से संपर्क करने का प्रयास किया गया परंतु उनका फोन परंपरागत रूप से उठा नहीं। उप बेसिक शिक्षा अधिकारी जगरूप संखवार जो पाठय पुस्तकों के लिये गठित समिति के नोडल अधिकारी हैं, ने बताया कि उनको न तो यह जानकारी है कि कितनी पुस्तके विगत वर्ष की शेष बची है, कितनी पुस्तकों की और आवश्यकता है, कितनी पुस्तकों का क्रय आदेश जारी किया गया है, और न ही यह मालूम है कि किताबे कब तक आनी हैं। उन्होंने बताया कि समिति को केवल पुस्तकों के भंडारण की व्यवस्था तक सीमित रखा गया है।