लाखों रुपये लेकर ऑनलाइन सर्वे कंपनी फरार

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भागी ऑनलाइन कंपनी पर ठगी का मामला

आइटी एक्ट के तहत भी होगी कार्रवाई

फर्रुखाबाद : लखनऊ के अलीगंज से एक ऑनलाइन सर्वे कंपनी निवेशकों का लाखों रुपये लेकर फरार हो गयी है। कंपनी का काला कारोबार इंटरनेट बैंकिंग व एसएमएस पर टिका था। किस खाते में कितनी रकम का भुगतान किया गया और वह खाता किसका है? यह सवाल ऐसे हैं, जो फिलहाल पुलिस के लिए पहेली हैं। ठगी के मास्टरमाइंड तक पहुंचने के लिए पुलिस को अब कंप्यूटर विशेषज्ञों की शरण भी लेनी पड़ रही है।

भागी ऑनलाइन कंपनी पर ठगी का मामला

आइटी एक्ट के तहत भी होगी कार्रवाई

तीन दिन पूर्व अलीगंज पुलिस ने एक ऑनलाइन सर्वे के नाम पर निवेशकों को ठगने के आरोपी कंपनी के संचालक विष्णुपुरी कालोनी निवासी दीपक गांधी को गिरफ्तार किया था। सीओ अलीगंज राजेश श्रीवास्तव के मुताबिक दीपक ने कंपनी की फ्रेंचाइजी ली थी और वह निवेशकों से रजिस्ट्रेशन के नाम पर 6500 रुपये नकद लेता था। यह रकम वह इंटरनेट बैंकिंग के जरिए कई खातों में जमा कराता था। वहीं निवेशक भी रजिस्ट्रेशन के बाद दो साल में अपनी रकम दोगुना होने के लालच में इंटरनेट बैंकिंग के जरिए भी सीधे निवेश करते थे। इस मामले में दर्ज मुकदमे में आईटी एक्ट की दफा 60 की भी बढ़ोत्तरी की जाएगी। वहीं अब तक की पड़ताल में यह साफ नहीं हो सका है कि कंपनी का असली मालिक कौन है और कंपनी की वेबसाइट का रजिस्ट्रेशन किसने कराया था? इसके लिए पुलिस इंटरनेट रेगुलेटरी अथॉरिटी, दिल्ली के अधिकारियों से भी संपर्क कर रही है। सीओ का कहना है कि पुलिस को कई अकाउन्ट नंबर मिले हैं, जिनके रुपये जमा कराए जाते थे लेकिन इन खातों के कोड पता करने में काफी दिक्कत आ रही है। पुलिस को अब तक दस्तावेज के रूप में ऐसा कोई कागज नहीं मिल सका है, जिसमें कंपनी के लेनदेन का जिक्र हो। लिहाजा पुलिस के पास कोई लिखित साक्ष्य नहीं है। कंपनी के संचालक इतने शातिर हैं कि उन्होंने चेक, कैश विड्रॉल फार्म अथवा रसीद का उपयोग ही नहीं किया। वहीं कंपनी अमेरिका की है अथवा इंग्लैंड की, इसे लेकर भी भ्रम की स्थिति है। पुलिस के लिए फिलहाल सबसे अहम यह पता करना है कि कंपनी की वेबसाइट किसने लांच कराई थी और इंटरनेट बैंकिंग में इस्तेमाल हुए खाते किसके हैं। इसकी पड़ताल के लिए कंप्यूटर विशेषज्ञों की भी मदद ली जा रही है।