बाबा को काया की नहीं, ट्रस्टों में जमा माया की चिंता: लालू

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नई दिल्ली। देश में कोई ब़डी घटना हो जाए तो राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव चुप नहीं रह सकते, वह अपनी राय जरूर देते हैं और उनकी राय सदा ही जमीनी हकीकत से परिपूर्ण होती है। अब जब बाबा रामदेव कई दिनों से सुर्खियों में हैं तो लालू यादव बोले बिना नहीं रहे और शनिवार को उन्होंने इशारों में कह डाला कि बाबा अनशन से अस्वस्थ नहीं हैं बल्कि अपने ट्रस्टों के कथित घपलों की जांच की चिंता में बीमार हुए हैं।

बाबा को अपनी काया की नहीं, ट्रस्टों में जमा माया की चिंता है। लालू की राय में रामदेव कोई योगी या बाबा नहीं हैं,एक प्रशिक्षक हैं। वह बीमार लोगों का उपचार कर रहे थे लेकिन राह चलते संघ परिवार की योजना का शिकार हो गये, जिन्होंने एक तरह से उन्हें बर्बाद कर दिया। लालू ने हमदर्दी जताते हुए ये भी कहा कि बाबा के साथ उनकी सहानुभूति है। लालू के नजरिये में बाबा एक गरीब परिवार से हैं अत: वे बाबा को सतर्क कर देना चाहेंगे कि आरएसएस और संघ परिवार के कुचक्रों सेबचें व अपना अनशन तो़ड आम जनता के लिए योग अभ्यास फि़र से शुरू करें।

लालू ने कहा कि बाबा को यदि राजनीति में आना है तो अपने दम पर आ जाएं,कौन रोकता है। बाबा के रामलीला मैदान में हुई पुलिस कार्रवाई के दौरान मौके से भाग निकलने के तरीके पर लालू व्यंग्य करने से नहीं चूके और कहा कि अष्टांग योग सिखाने का दावा करने वाले बाबा ने उस रात पुलिस के सामने कुदान कूदने का योग किया, संन्यासी डर गया और महिलावेश में भागा।

राजद नेता ने कहा कि जांच इस बात का खुलासा करेगी कि बाबा रामदेव के ट्रस्ट में किस तरह का धन लगा है, काला या सफेद। अन्ना हजारे और रामदेव से बातचीत करने के केंद्र के तरीकों से नाराज लालू यादव ने कहा कि सरकार को अन्ना हजारे या रामदेव के समर्थकों से नहीं बल्कि सांसदों से बातचीत करनी चाहिए। सरकार लोकपाल विधेयक लाए और संसद में पारित करवाए।