फर्रुखाबाद:(जेएनआई ब्यूरो) सूर्य की आराधना का पर्व पांच नवंबर यानी मंगलवार से शुरू हो गया। जिसका आरंभ चतुर्थी तिथि से हो जाता है और समापन सप्तमी तिथि पर होता है। छठ पूजा का पर्व कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। इस साल षष्ठी तिथि सात नवंबर दिन गुरुवार को रात्रि 12 बजकर 41 मिनट पर शुरू होगी और आठ
नवंबर को रात 12 बजकर 34 मिनट पर समाप्त होगी। लिहाजा पहले दिन 5 नवंबर को नहाय खाय का श्रद्धालुओं ने स्नान कर केवल शुद्ध और सात्विक भोजन ग्रहण किया।
छठ पर्व के चार दिनों का महत्व
छठ पर्व मुख्य रूप से षष्ठी तिथि को किया जाता है, लेकिन इसका आरंभ नहाय खाय से हो जाता है यानी छठ पर्व शुरुआत में पहले दिन व्रती नदियों में स्नान करके भात, कद्दू की सब्जी और सरसों का साग एक समय खाती है|
दूसरे दिन खरना किया जाता है जिसमें शाम के समय व्रती गुड़ की खीर बनाकर छठ मैय्या को भोग लगाती हैं और पूरा परिवार इस प्रसाद को खाता है।
तीसरे दिन छठ का पर्व मनाया जाता है जिसमें अस्त होते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है।
चौथे दिन सप्तमी तिथि को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर छठ पर्व को समापन किया जाता है। पूर्वांचल विकास समिति द्वारा पांचाल घाट गंगा तट पर प्रशासन के सहयोग से समतलीय करण का कार्य कराया| अध्यक्ष केदारशाह, शमीम अहमद, बीबी सिंह, रामबाबू आदि रहे|