सुप्रीम कोर्ट नें 69 हजार शिक्षक भर्ती मामले में लगायी हाईकोर्ट के फैसले पर रोंक

FARRUKHABAD NEWS

नई दिल्ली: यूपी के 69 हजार अध्यापक भर्ती मामले में सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दिया है, जिसमें मेरिट लिस्ट रद्द करते हुए तीन महीने में नई सूची जारी करने को कहा गया था। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश से नियुक्ति पा चुके अभ्यर्थियों ने राहत महसूस की है। 
नौकरी पर था खतरा 
दरअसल, 69000 शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में आरक्षण नियमों की अनदेखी का आरोप लगाते हुए कुछ अभ्यर्थी हाईकोर्ट गए थे। जिस पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने मेरिट लिस्ट रद्द करते हुए तीन महीने में नए सिरे से पात्र अभ्यर्थियों से सूची जारी करने का आदेश योगी सरकार को दिया था। हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ सामान्य वर्ग के कुछ अभ्यर्थियों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर हस्तक्षेप की मांग की है। याचिका में बताया गया कि हाईकोर्ट के आदेश से कई शिक्षकों की नौकरी पर खतरा मंडराने लगा है|
अगली सुनवाई 23 सितंबर को
सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने की है। चीफ जस्टिस (CJI) ने हाईकोर्ट का आदेश निलंबित कर अगली सुनवाई की तारीख 23 सितंबर को निर्धारित की है। साथ ही कहा, सभी पक्षकार लिखित नोट दाखिल करें, ताकि मामले में फाइनल सुनवाई की जा सके। शीर्ष अदालत ने यूपी सरकार से भी जवाब मांगा है। 
ये था इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश 
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस मामले में आदेश जारी कर सहायक शिक्षक भर्ती की मेरिट लिस्ट रद्द कर दी थी। साथ ही सरकार को आरक्षण नियमावली 1994 की धारा 3(6) और बेसिक शिक्षा नियमावली 1981 का पालन करने के लिए आदेशित किया था। हाईकोर्ट ने यूपी सरकार को आदेशित किया था कि सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा का परिणाम नए सिरे से जारी करें। हाईकोर्ट के इस आदेश से हजारों शिक्षकों की नौकरी खतरे में पड़ गई थी, जिस पर उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई।