फरीदाबाद: ‘दूध दही का खाणा ये मेरा हरियाणा’। इस कहावत के साथ पूरी दुनिया में मशहूर रहा हरियाणा राज्य आज दूध के संकट से जूझ रहा है, वहीं कृत्रिम यानी आर्टिफीशियल दूध बनाने वाले माफिया ने ‘लोहे की भैंस’ का नायाब ढंग अपनाकर लोगों को बीमारियों की चपेट में डाल रहे हैं। माफिया पूरे प्रदेश में कृत्रिम दूध द्वारा मक्खन, क्रीम, घी, दही, पनीर, खोया बनाकर बेच रहे हैं।
राज्य में कई स्थानों पर नकली पनीर, घी इत्यादि पकड़ा भी जा चुका है। खाद्य पदार्थों से दूध से बनी वस्तुओं की प्रदेश भर में बढ़ती मांग के कारण मिलावट खोरों ने कृत्रिम दूध तैयार करवाने का नायाब तरीका इजात किया है, जिसके लिए ‘लोहे की भैंस’ का प्रयोग किया जाता है। लोहे की भैंस यानी वो मशीन जिसमें आर्टिफीशियल दूध तैयार किया जाता है।
सूत्रों की माने तो कृत्रिम पाऊडर एक पैकेट लगभग 250 रुपए में मिलता है, जिसमें मिलावटी खोर 20 से 25 लीटर दूध का निर्माण लोहे के ड्रमों में घोलकर कर रहे है और इस कृत्रिम दूध से दहीं, खोया, मक्खन इत्यादि बनाकर बिक्री की जाती है।
सर्वविदित है कि गर्मी के दिनों मं दूध देने वाले पशुओं में दूध की उत्पादकता में कमी आ जाती है, जिससे बाजार की खपत पूरी नहीं होती। गर्मी में दूध व दूध से बनी वस्तुओं की बढ़ती मांग के चलते कुछ कथित मिलावट खोरों ने कृत्रिम दूध का नया ढंग बना लिया है। सूत्रों की माने तो मिलावट खोर दूध का घनत्व बढ़ाने के लिए शक्कर, यूरिया अथवा चिकनाई बरकरार रखने के लिए सस्ते रिफाईड तेल के अलावा ‘एक्रेलिक’ कलर का प्रयोग भी सफेदी लाने के लिए करते है।
केवल इतना ही नहीं मिलावट खोरों ने पशुओं के दूध से पहले क्रीम निकालने बाद बचे सप्रेटा दूध में चिकनाई मिलाकर असली दूध जैसा रूप दे दिया है, जिसकी फैट की मात्रा भी अच्छी मिलती है, जिसके चलते उपभोक्ताओं का आर्थिक शोषण आसानी से किया जा सकता है। पानी में रंग तथा एक्सपायर्ड दूध का पाऊडर मिलाकर भी दूध बनाया जा रहा है, जिससे दही व पनीर तैयार किया जाता है। इस कृत्रिम दूध से प्रदेश भर में आंत्रशोध जैसी बीमारियां अमरबेल की तरफ बढ़ती जा रही है, मगर स्वास्थय विभाग चुप्पी साधे हुए है।