फर्रुखाबादः बाढ़ राहत के नाम पर एक-एक गांव में लेखपालों द्वारा सैकड़ों किसानों के नाम पर फर्जी चेक बनवाकर लाखों रुपये का घोटाला अब सामने आने लगा है। मजे की बात है कि यह गड़बड़ियां सूचना अधिकार के अंतर्गत प्राप्त की गयी सूचनाओं के आधार पर की गयी शिकयतों की जांच के बाद सामने आ पायी हैं।
सूचना अधिकार को प्रशासनिक अमला भले ही शासकीय काम काज में व्यर्थ की दखलअंदाजी मानता हो परंतु इस कानून ने कुछ कुछ अपना असर दिखाना शुरू कर दिया है। विदित है कि बाढ़ राहत के नाम पर तहसील स्तर पर राजस्व अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत से घोटालों का पर्दा फाश करने के लिये सूचना अधिकार अधिनियम के अंतर्गत कुछ जागरूक नागरिकों ने अपने अपने गांव के लाभार्थियों की सूची प्राप्त की और उनमें अपात्रों को चिन्हित कर इसकी श्किायत जिलाधिकारी से की थी। डीएम के आदेश पर हुई जांचों में अब तथ्य सामने आने लगे हैं। तहसील अमृतपुर के ग्राम परतापुर कलां में सैकड़ों अपात्रों और फर्जी नामों से 3.41 लााख रुपये के घोटाले का मामला सामने आया है।
उपजिलाधिकारी अमृतपुर आरबी वर्मा ने बताया कि प्रकरण में संबंधित लेखपाल राजकुमार और ग्रामीण बैंक शाखा प्रबंधक वीरपाल सिंह सहित कई ग्रामीण भी लिप्त पाये गये हैं। उन्होंने बताया कि एक मामले में तो लखपत नाम के एक ग्रामीण ने 40 चेकों का भुगतान प्राप्त किया है। इसी प्रकार 36 चेकों का भुगतान बुद्धपाल ने निकलवाया है। एक अन्य ओम प्रकाश तिवारी की भी संलिप्तता पायी गयी है। उन्होंने बताया कि सभी के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराने के लिये तहसीलदार को निर्देश दे दिये गये हैं।
उन्होंने बताया कि लेखपाल राजकुमार को पहले अन्य मामलों में गड़बड़ियों के चलते मूल वेतन पर रिवर्ट कर दिया गया था। यह काफी बड़ा मामला है। विभागीय कार्रवाई के चलते उसे निलंबित भी कर दिया गया है।