सेना में भर्ती को युवकों का जमावड़ा शुरू

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फर्रुखाबादः सेना में भर्ती के लिये आने वाले बाहरी युवकों का फतेहगढ़ में विभिन्न स्थानों पर जमावड़ा शुरू हो गया है। दूर दराज से आने वाले युवकों को इस चिपचिपाती गर्मी में रात काटने के लिये फुटपाथ पर दो फुट जगह की तलाश में भटकते दिखे। बुधवार से सेना के करियप्पा कांप्लेक्स में सेना भर्ती की शुरुआत होनी है।

फूटपाथ पर दो फिट जगह तलाशते युवक

विदित है कि बरेली सेना भर्ती कार्यालय की ओर से आयोजित भर्ती रैली बुधवार से फतेहगढ़ छावनी के कयिप्पा कांप्लेक्स में प्रारंभ होनी है। इसमें प्रदेश के 34 जिलों के अभ्यर्थी सम्मिलित हो सकते हैं। भर्ती के लिये मंगलवार से ही आसपास के जनपदों के युवकों का जमावड़ा शुरू हो गया है। रेलवे स्टेशन और रोडवेज बस स्टेश के अतिरिक्त सार्वजनिक स्थानों पर इन युवकों ने डेरा जमाना शुरू कर दिया है। देर शाम तक पार्कों और फुटपाथों तक पर इन युवकों ने अपने अंगौछ और चादरे बिछा दिये थे। इतनी बड़ी संख्या में आने वाले अभ्यर्थियों के कारण संभावित कानून व्यवस्था की स्थिति को देखते हुए जिला प्रशासन भी चौकन्ना है।

उल्लेखनीय है कि सैन्य अधिकारियों की ओर से लगभग दो माह पूर्व ही भर्ती की तिथियों के बारे में सूचना दे दी गयी थी। बाकायदा जिला प्रशासन के साथ बैठकें कर संभावित परिस्थितियों पर भी चर्चा हो गयी थी। परंतु इसके बावजूद इन युवकों के ठहरने के लिये प्रशान या सेना की ओर से किसी बड़े पार्क या मैदान तक का चिन्हांकन नहीं किया गया। लगभग 15-20 हजार युवकों के आने पर उनके सोने, खाने और शौच तक की समस्या पर शायद विचार तो किया गया परंतु व्यवस्था को भगवान भरोसे छोड़ दिया गया। इसके कारण इन युवकों को जो समस्या होगी सो तो होगी ही परंतु आम नागरिकों को भी असुविधा होना निश्चित है।

यह युवक कल का जिम्मेदार नागरिक है। हो सकता है इसमें से मात्र 10 प्रतिशत ही सेना में भर्ती हो सके और शेष 90 प्रतिशत असफल होकर लौट जायें। परंतु फिर भी यह हमारा ‘कल’ है। इनकी जरूरत से ज्याद महत्वपूर्ण इनका आत्म सम्मान है। और देश की तरुणाई के प्रति इतनी उदासीनता को शायद ठीक नहीं कहा जा सकता। मजे की बात है कि जिला प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारी पहले से ही ऐसा हाते चले आने की परंपरा का हवाला देते नजर आ रहे हैं, तो दूसरी ओर सेना भर्ती से जुड़े अधिकारी इसको प्रशासन का विशेषाधिकार बताकर पल्ला झाड़ते दिख रहे हैं। जबकि फतेहगढ स्टेडियम से लेकर छावनी क्षेत्र तक में इन युवकों को रुकाने के लिये कई मैदान पड़े हैं जिनका उपयोग किया जा सकता था। अब रात भर सड़क के किनारे फुटपाथ पर सोने के बाद उसको जिस कठिन शारीरिक परीक्षा से गुजरना है वह आम आदमी के लिये असंभव नहीं तो काफी मुश्किल जरूर हैं और परीक्षा में विफल होने के बाद यदि युवक की खीज राह चलते लोगों और बसों के सहयात्रियों पर निकलती है, तो इसमें आशचर्य भी कैसा।