फर्रुखाबाद:(जेएनआई ब्यूरो) गर्मी के दिनों में प्यासे राहगीरों और पशु-पक्षियों को पानी पिलाना बड़ा ही पुण्य का काम माना जाता है। दौड़भाग के दौर में समाजसेवी और सेवाभावी होने का ढोंग करने वाली संस्थाएं भी अब सार्वजनिक प्याऊ खोलने में रुचि नहीं ले रहीं हैं। इन दिनों गर्मी अपना असर दिखा रही है। तेज धूप की वजह से लोगों की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं| खासकर आसपास के गांवों से शहर आने वाले राहगीरों को पीने के पानी के लिए भटकते देखा जा सकता है। होटल-ढाबों में पीने का पानी भी अब पाउच और बोतलबंद होकर बिकने लगा है, जो गरीब और मध्यमवर्गीय ग्रामीणों की पहुंच से बाहर है। स्वार्थ की दुनिया में जहां हर कोई मदद से मुंह चुराता है ऐसे में शहर के प्रमुख चौक-चौराहे और यात्री प्रतीक्षालयों में प्यास बुझाने के लिए प्याऊ खोलने की मुहीम फर्रुखाबाद विकास मंच की तरफ से मोहन अग्रवाल चला रहें है|
दरअसल मोहन अग्रवाल के पिता सुरेश चंद्र अग्रवाल ने मार्गदर्शन में साल 2013 में 11 पानी के ड्रम रखकर उसमे बर्फ डाल कर राहगीरों के सूखे हलक को तर करनें के लिये ठंडे पानी की व्यवस्था की| उसी साल से अनवरत उनकी पेयजल सेवा शहर के लोगों की प्यास बुझा रही है| मोहन का जनसेवा संकल्प रथ लगातार 11 सालों से शहर में घूम रहा है| वर्तमान में शहर में 67 जगह ड्रम फर्रुखाबाद विकास मंच की तरफ से रखे गयें है| जिसको संचालित करनें उनमे पानी और बर्फ उपलब्ध करानें के लिये पूरी एक टीम निजी स्तर पर राहगीरों को शीतल जल पिला उनके सूखे हुए कंठों की प्यास बुझाने का काम निस्वार्थ भाव से कर रही है|
फर्रुखाबाद विकास मंच के संस्थापक मोहन अग्रवाल नें जेएनआई को बताया कि उनका जल सेवा संकल्प रथ सुबह लगभग 7 बजे बर्फ की लगभग 70 सिल्ली लेकर शहर में निकल पड़ता है| जिसके लिए एक चालक और दो मजदूर लगातार काम पर रहते है| वह पूरे शहर में घूम-घूम कर उनके द्वारा रखे गये ड्रमों में बर्फ की सिल्ली डालते है| पानी भरने का कार्य उसे दिया जाता है जिसके घर या प्रतिष्ठान के सामने ड्रम रखा गया है | उसमे पानी भरने के बाद बर्फ की सिल्ली डाल दी जाती है| जिससे पानी ठंड़ा बना रहता है| जगह-जगह रखे ठंडे पानी के ड्रमों से प्रतिदिन हजारों लोग अपनी प्यास बुझाते हैं| जिससे शहर में भीषण गर्मी में राहगिरों की पेयजल की समस्या को काफी हद तक दूर किया है| उन्होंने बताया कि संसार में इससे बड़ा पुण्य दूसरा नहीं है। गर्मी के मौसम में सबसे ज्यादा जरूरत ठंडे पानी की होती है। पाश्चात्य संस्कृति में ज्यादातर लोग इस पुण्य से दूर हो रहे हैं।
प्रतिदिन 11 हजार की बर्फ का होता है खर्चा
मोहन अग्रवाल नें बताया कि वर्तमान में बर्फ की सिल्ली 150 रूपये में उपलब्ध है| प्रतिदिन ड्रमों में लगभग 70 सिल्ली लग जातीं हैं| जिससे की 10, 500 रूपये कीमत की बर्फ पानी में डाल दी जाती है|उन्होंने कहा की पहले बर्फ की सिल्ली टैम्पों पर भेजी जातीं थी लेकिन बाद में ड्रमों की संख्या बढ़ी तो फिर बर्फ ले जानें के लिये पिकअप को खरीदा|
अप्रैल से गणपति विसर्जन तक करते जल सेवा आपूर्ति
मोहन अग्रवाल नें बताया की एक अप्रैल से उनकी पेयजल सेवा नगर में शुरू की जाती है| जो गणपति विसर्जन के आस-पास तक प्रतिवर्ष चलती है|जिसमें लाखों लोग पानी पीते हैं |