फर्रुखाबाद:(नगर संवाददाता)धीरे-धीरे गर्मी का मौसम चरम पर पहुंच रहा है। गर्मी बढ़ने से देसी फ्रिज यानी घड़ों की डिमांड भी बढ़ने लगी है। मध्यम वर्गीय परिवार में प्यास बुझाने के लिए देशी फ्रीज घड़ा-सुराही ही एकमात्र सहारा रह गए हैं। जिनकी आवश्यकतानुसार खरीदारी की जा रही है। गर्मी में मांग बढ़ने पर मिट्टी के बर्तन विक्रेताओं द्वारा जगह-जगह फड़ लगाकर इनकी बिक्री की जा रही है। जहां पर कीमत 100 रुपये से लेकर 200 रुपए तक में यह मौजूद है। लोगों का मानना है कि मिट्टी से बने घड़ा-सुराही का ठंडा पानी सेवन करने से कोई नुकसान नहीं है। जबकि बाजार में मिलने वाली कच्ची बर्फ और फ्रीज का ठंडा पानी पीने से लोग सर्दी, जुकाम, बुखार जैसी बीमारियों से ग्रसित हो रहे है।
घड़ा-सुराही का ठंडा पानी आसानी से उपलब्ध हो सकता है। इसी के मद्देनजर मध्यम वर्गीय परिवार के लोगों द्वारा भीषण गर्मी की शुरूआत होते ही घड़ा-सुराही की खरीदना शुरू कर दिया है। मिट्टी के बर्तन विक्रेताओं ने जगह-जगह फड़ सजाकर बिक्री शुरू कर दी है। शहर के किनारा बाजार में दुकान लगाकर घड़ा, सुराही एवं अन्य मिट्टी के बर्तन बेचने वाले दुकानदार अवनीश व आशीष ने बताया कि गर्मी बढ़ने के साथ ही घड़, सुराही की बिक्री में तेजी आई है। लोग एक साथ दो-तीन घड़े खरीदकर ले जा रहे हैं। उसने बताया कि उसके यहां घड़े 100 से लेकर 200 रुपये तक उपलब्ध है। दुकानदार ने बताया कि लोगों द्वारा टोंटी वाले घड़े को अधिक पसंद किया जा रहा है।
लाभदायक है घड़े का पानी
मिट्टी के बर्तन बनाने वाले राजेश कुमार ने बताया कि स्वास्थ्य के मद्देनजर घड़े का पानी काफी लाभदायक है। वैसे तो पानी जीवन का आधार है। लेकिन यदि पानी मटके का हो तो उसके गुण कई गुणा बढ़ जाते हैं। घड़े का पानी पीने से कई रोगों से छुटकारा मिलता है। मिट्टी के घड़े में रखा पानी एक तो कुदरती तौर पर शुद्ध होता है और मटके के अंदर की सतह पानी के दूषित कणों को सोख लेती है। घड़े का पानी कम से कम दो दिन तक ताजा रहता है।
समय के साथ बदला घड़े का आकार
घड़ा बेंचने वाले अवनीश ने बताया कि समय के साथ-साथ घड़े का आकार भी बदल गया है। पहले यहां केवल खुले मुंह वाला घड़ा होता था, जिसे उलटा करके पानी निकाला जाता था। मगर, अब कई प्रकार के घड़े मार्केट में मिल रहे हैं जैसे कि घड़े को भी टोंटी लगा दी गई है। इसे उलटा करने की जरुरत नहीं पड़ती। घड़े अलग-अलग साइज के मिलने लगे हैं। उनके पास पांच लीटर से लेकर तीस लीटर तक घड़े मिल जाते हैं।
मटके का पानी पीने के फायदे
वैधराज प. राजेन्द्र प्रसाद मिश्रा नें जेएनआई को बताया कि गर्मियों में मटके में रखा पानी पीने से लू से बचाव होता है। मटके का पानी पेट के लिए भी फायदेमंद होता है। दरअसल, मिट्टी के बर्तन में रखा पानी नैचुरली एल्कलाइन होता है, जिससे पीएच संतुलन को बनाए रखने में मदद मिलती है। रोजाना मटके का पानी पीने से पेट में गैस, कब्ज और एसिडिटी जैसी पाचन संबंधी समस्याएं दूर होती हैं। फ्रिज का पानी पीने से गले में खराश और खांसी जैसी समस्याएं हो सकती हैं। जबकि, मटके का पानी बहुत ज्यादा ठंडा न होने के कारण गले को किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचाता है। सर्दी, खांसी और अस्थमा से पीड़ित लोगों को फ्रिज का ठंडा पानी पीने के बजाय मटके का पानी पीना चाहिए। मटके का पानी पीने से शरीर में दर्द की शिकायत दूर होती है। दरअसल, मिट्टी में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं, जो दर्द, ऐठन और सूजन की समस्या को कम करने में मददगार हैं। मटके का पानी पीने से अर्थराइटिस की बीमारी में भी लाभ मिलता है।( नगर संवाददाता प्रमोद द्विवेदी)