लखनऊ:विभिन्न मांगों को लेकर ऊर्जा मंत्री एके शर्मा के साथ बातचीत बेनतीजा साबित होने के बाद विद्युत कर्मचारी संघर्ष समिति से जुड़े विद्युत कर्मचारी गुरुवार रात 10 बजे से 72 घंटे की हड़ताल पर चले गए। बिजली कर्मियों के हड़ताल पर जाते ही सरकार और पावर कारपोरेशन प्रबंधन भी एक्शन मोड में आ गया। ऊर्जा मंत्री श्री शर्मा ने बिजली आपूर्ति में गड़बड़ी करने वालों को कड़ी चेतावनी देते हुए कहा है कि उनके खिलाफ एस्मा (आवश्यक सेवा अनुरक्षण अधिनियम) के तहत कठोर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।उपद्रव व सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों पर रासुका के तहत भी कार्रवाई होगी। संविदाकर्मी एवं आउटसोर्सिंग कर्मियों के हड़ताल पर जाते ही उनकी सेवाएं समाप्त कर दी जाएंगी। इस बीच हड़ताल से निपटने के पुख्ता इंतजाम का दावा करते हुए प्रबंधन ने बिजली उत्पादन और आपूर्ति को बनाए रखने के लिए एनटीपीसी सहित अन्य सार्वजनिक व निजी उपक्रमों के तकनीकी कर्मचारियों की मदद लेने का निर्णय भी किया है। हालांकि हड़ताल से बिजली आपूर्ति के लड़खड़ाने की आशंका जताई जा रही है।गुरुवार रात 10 बजे से हड़ताल के मद्देजनर ऊर्जा मंत्री ने दिन में विद्युत कर्मचारी संयुक्त मोर्चा समिति में शामिल संगठनों के पदाधिकारियों के साथ दो घंटे तक वार्ता की लेकिन कोई नतीजा नहीं निकल सका। वार्ता बेनतीजा रहने के बाद शक्ति भवन में पत्रकारों से बातचीत में मंत्री ने बताया कि विद्युत संघर्ष समिति द्वारा प्रस्तावित 72 घंटे के कार्य बहिष्कार व विद्युत व्यवधान पैदा किए जाने को लेकर विभाग ने अपनी पूरी तैयार की है। 72 घंटे दौरान विशेष सतर्कता बरतने के साथ ही शक्ति भवन में स्थापित कंट्रोल रूम के जरिये 24 घंटे मानीटरिंग की जाएगी|विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के साथ तीन दिसंबर, 2022 को हुए समझौते में तेरह सूत्रीय मांगों को 15 दिनों में हल किए जाने को लेकर पूछे गए सवाल पर मंत्री ने कहा कि विद्युत निगम एक लाख करोड़ रुपये से अधिक के घाटे में हैं। हर वर्ष लगभग 150 करोड़ रुपये का घाटा हो रहा है। ऐसी दशा में बोनस दिए जाने का औचित्य नहीं है। तीन वर्ष पूर्व बोनस बंटा था जिसके उपरांत उनके निर्देश पर एक वर्ष के बोनस का भुगतान किया गया है और शेष आगे देने का प्रयास किया जाएगा। कैशलेस इलाज व वेतन विसंगति समेत अन्य समस्या को दूर कराने की दिशा में कदम बढ़ रहे हैं। कहा कि वर्ष 2020 में उनके मंत्री बनने से पूर्व भी एक समझौता हुआ था, जिस पर अब तक पूरी तरह अमल नहीं हो सका है। तीन माह पूर्व हुए समझौते को लेकर इतनी जल्दबाजी ठीक नहीं है।
ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने कहा कि बिजली आपूर्ति बनाए रखने के लिए व्यापक इंतजाम किए गए हैं। कहीं थोड़ी-बहुत समस्या होती है तो लोग संयम रखकर राज्य सरकार का साथ दें।
पावर कारपोरेशन के चेयरमैन एम. देवराज ने बताया कि बिजली का उत्पादन, ट्रांसमिशन और वितरण को बनाए रखने के लिए एनटीपीसी सहित अन्य से मदद लेने का निर्णय किया गया है। शक्तिभवन मुख्यालय से प्रदेशभर में नजर रखी जा रही है।