फर्रुखाबाद:(नगर संवाददाता)अपने दिवंगत पूर्वजों के प्रति श्रद्धा व कृतज्ञता प्रकट करने का महान पर्व पितृ विसर्जन पूरे जनपद में आस्था, परंपरा व शास्त्रीय रीति-नीति के अनुसार मनाया गया। पितरों को समर्पित पितृपक्ष के अंतिम दिन रविवार को सनातन धर्मियों ने गंगा घाट पर श्रद्धा से श्राद्ध कर पितरों को विदा किया। गंगा में स्नान कर विधि विधान से पितरों का तर्पण व पिंडदान किया। अमावस्या पर सर्वपैत्री श्राद्ध के विधान के तहत परिवार के भूले-बिसरे सभी पुरखों का स्मरण किया और जो 14 दिनों तक तर्पण व पिंडदान नहीं कर पाए थे, एक अनुष्ठान से संपूर्ण फल प्राप्त किया। इसके लिए स्थानीयजनों के साथ ही आसपास के जिलों से भी लोगों की सुबह से ही गंगा में डुबकी लगाना शुरू कर दिया था| हाथों में कुश लेकर काली तिल, अक्षत व गंगाजल से तर्पण कर पूर्वजों को नमन किया। क्षौर कर्म कराए तथा पिंडदान किया। घरों में पितृ स्वरूप में ब्राह्मणों को भोजन कराकर दान-दक्षिणा संग विदाई दी।
पितृपक्ष के अंतिम दिन अमावस्या तिथि को सर्वपैत्री श्राद्ध का विशेष महात्म्य है। मान्यता है कि इस दिन पांचाल घाट गंगा स्नान कर पिडंदान व तर्पण से देवलोक से आए पितृ तृप्त होते हैं। परिवार के भूले-बिसरे सभी का स्मरण इस दिन किया जाता है। गंगा घाट पर आचार्य प्रदीप शुक्ला नें समूह में भी लोगों को पिंडदान कराया। पिंडदान व तर्पण करने वालों की अधिक भीड़ रही।