फर्रुखाबाद: बेहद छोटा पर उतना ही प्यारा शब्द है-मां। यह अपने भीतर ममता का अथाह सागर समेटे हुए है। कहा जाता है कि जब ईश्वर ने इस सृष्टि की रचना की तो उसके लिए हर जगह खुद मौजूद होना संभव नहीं था। तो संसार की हिफाजत के लिए उसने मां को बनाया।
मां के प्यार की कोई सीमा नहीं होती। वह बच्चे को बिना किसी शर्त के प्यार करती है और समस्त कमियों के साथ उसे सहर्ष स्वीकारती है। जगदगुरु आदि शंकराचार्य ने भी तो कहा है, ..कुपुत्रो जायेत क्वचिदपि माता कुमाता न भवति (पुत्र तो कुपुत्र हो सकता है, पर माता कुमाता नहीं होती)। सच, मां की ममता अनमोल होती है।
मैं खून के रिश्ते की अहमियत को नकार नहीं सकता, पर दिल का रिश्ता भी बहुत गहरा होता है। अगर कोई स्त्री बच्चे को जन्म नहीं देती तो भी किसी दूसरे बच्चे के लिए उसके दिल में वैसा ही सहज प्यार होता है, जैसा कि एक मां के दिल में अपने बच्चे के लिए होता है। ऐसा ही आप इस तस्वीर को देखकर सहज ही अनुमान लगा सकते हैं कि रिश्ता खून से भी बढ़कर होता है अपनत्व और प्रेम का|
जन्मजात दुश्मन कुत्ते और बन्दर की कहानिया तो पढी ही होंगी लेकिन उन कहानियों को झुट्लाती है कुतिया और एक बन्दर के बच्चे का प्यार तभी तो माँ कुतिया बैर भावना को भुलाकर बन्दर के बच्चे को दूध पिला रही है|
हम इंसान को कब ये अक्ल आयेगी कि इन जानवरों से कुछ सीखो| बैर भावना को भुलाकर सभी लोगों को गले लगाओं|