परमात्मा की भक्ति से महत्वपूर्ण माँ-बाप की सेवा

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फर्रुखाबाद:(नगर संवाददाता) नगर के डीवीवीवी विद्यालय में आयोजित मानस सम्मेलन के आखिरी दिन श्रीराम राज्याभिषेक राजगद्दी के साथ श्री राम कथा की अमृत वर्षा का समापन किया गया। इस अवसर पर मानस विद्वानों , विभिन्न महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभाने वाले लोगों को सम्मानित किया गया। डॉ प्रज्ञा मिश्रा ने कहा कि मानस में भगवान सुपनखा को नहीं मिले। भगवान शबरी को मिले। जन्म जन्मांतर के कर्मों के फल से भगवान मिलते हैं|
उन्होंने कहा कि मुक्ति से भक्ति श्रेष्ठ है। संतों की संगत कथा श्रवण गुरु की सेवा भजन करना सील धर्म,सनतोष करना गुणों का दान करना मंत्रों का जाप करना सज्जनों का अनुसरण करना संसार को परमात्मा की दृष्टि से देखना राम पर भरोसा करना आदि गुरु भक्त में होना चाहिए। साध्वी मुमुक्षा ने कहा कि नैमिष धाम सब तीर्थों में सबसे है। जीवन में राम नाम का बहुत ही महत्व है। जो राम नहीं कर सकते वह राम का नाम कर सकता है।  इंसान अगर कुछ नहीं कर सकता तो वह राम नाम लेकर अपना बेड़ा पार कर सकता है। राम नाम जीवन को सार्थक बना सकता है। सुमन रामायणी ने कहा कि रामचरितमानस जीवन जीने की पद्धति का दूसरा नाम है। परमात्मा को पाने का अधिकार हर उस व्यक्ति को है जिसके दिल में भगवान के प्रति श्रद्धा हो। प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन में मानस का पाठ करना चाहिए। उन्होंने कहाकि माता पिता की सेवा करना परमात्मा की भक्ति से ज्यादा आवश्यक है आज हमारे समाज में संस्कारों की कमी हो रही है जिसके कारण समाज का पतन हो रहा है। समाज को पतन से बचाने के लिए ऐसे धार्मिक कार्यक्रमों का होना बहुत ही आवश्यक है। जिसने अपना जीवन परमात्मा को समर्पित कर दिया उसके पास किसी चीज का भाव नहीं रहता है। अपने को प्रभु चरणों में समर्पित कर दो फिर किसी प्रकार की चिंता करने की आवश्यकता नहीं है।
आचार्य सर्वेश कुमार शुक्ला ने मानस से जुड़े कई प्रसंगों की जोरदार चर्चा की। उन्होंने कहा कि फर्रुखाबाद के लोगों का सौभाग्य है कि उन्हें यहां पर होने वाले धार्मिक आयोजनों में भाग लेने का सौभाग्य प्राप्त होता है। तबले पर संगति अनुभव मिश्रा ने दी। मानस सम्मेलन का संचालन संत कवि बीके सिंह किशोर ने किया। मीडिया प्रभारी राजेश निराला द्वारा सभी मानस विद्यालय एवं विभिन्न जिम्मेदारियां निभाने वाले लोगों को समर्थन देकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर भारत सिंह, मुकेश सिंह, गुड्डू, राहुल कनौजिया, गिर्राज कनौजिया, शकुंतला कनौजिया, कल्लू कनौजिया, रविंद्र भदौरिया आदि ने व्यवस्था में सहयोग किया। मानस सम्मेलन के आखिरी दिन सभी वक्ताओं को भावभीनी विदाई दी गई। भक्तों का प्रेम देखकर वक्ताओं के भी आंखों से आंसू निकल आए।