डेस्क: भगवान श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर पूरे दिन और रात रोहणी नक्षत्र रहेगा। इस बार वे सभी दुर्लभ संयोग रहेंगे जो कान्हा के जन्म के समय बने थे। सर्वार्थ सिद्धि योग में माता यशोदा के लाल का जन्म होगा। इसीलिए अष्टमी 29 अगस्त की रात शुरू हो जाएगी और नक्षत्र के कारण 30 अगस्त की रात मनाई जाएगी।
बहुत ही दुर्लभ योग
आचार्य सर्वेश कुमार शुक्ल के अनुसार भाद्रपद मास की अष्टमी तिथि को जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाता है। श्रीमद भागवत पुराण के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्र कृष्ण पक्ष, रोहिणी नक्षत्र, अर्धरात्रि कालीन अष्टमी तिथि, वृष राशि में बुधवार को हुआ था। जन्माष्टमी पर छह तत्वों का एक साथ मिलना बहुत ही दुर्लभ होता है। इस जन्माष्टमी पर भी भाद्र कृष्ण पक्ष, अर्धकालीन अष्टमी तिथि, रोहणी नक्षत्र, वृष राशि में चंद्रमा और इसके साथ सोमवार को होना मंगलकारी है। व्रत के लिए उदया तिथि मान्य है, इसीलिए इस वर्ष श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पावन पर्व 30 अगस्त को ही मनाया जाएगा।
छह तत्वों के संयोग में व्रत करना सर्वोत्तम
आचार्य प. सर्वेश शुक्ल के अनुसार छह तत्वों के संयोग में व्रत करने से तीन जन्मों के पापों से मुक्ति मिलती है। प्रेत योनि में भटक रहे पूर्वजों को भी मनुष्य मुक्ति दिला सकता है। जो लोग जन्माष्टमी का व्रत आरंभ करना चाहते हैं उनके लिए इस वर्ष व्रत आरंभ करना उत्तम रहेगा। जो लोग पहले से व्रत कर रहे हैं, उनके लिए लाभकारी रहेगा। स्मार्त और वैष्णव दोनों के लिए 30 अगस्त का दिन जन्माष्टमी व्रत के लिए सर्वोत्तम है।
यह रहेगा शुभ मुहूर्त
अष्टमी तिथि: 29 अगस्त रात 11:25 से 30 अगस्त रात 01:59 बजे तक
शुभ मुहूर्त: 30 अगस्त रात 11:59 से 12:44 बजे तक
रोहणी नक्षत्र: 30 अगस्त सुबह 06:39 से 31 अगस्त सुबह 09:44 बजे तक