नई दिल्ली:ग्राम पंचायतों को मिल रहे भारी फंड की कड़ी निगरानी के लिए मजबूत तंत्र बनाया जा रहा है। गांवों के विकास कार्यों की नियमित सोशल आडिट के साथ धनराशि खर्च करने के तौर तरीकों का आनलाइन आडिट होगा। यह निगरानी प्रणाली देश के शत प्रतिशत ग्राम पंचायतों में लागू की जाएगी। गांवों के सभी कार्य निर्धारित ग्राम पंचायत विकास योजना के तहत कराए जा सकेंगे। उसी के अनुरूप खर्च भी किया जा सकेगा। इससे निचले स्तर पर कार्य करने वाले ग्राम प्रधानों व सचिवों की मनमानी पर रोक लगनी तय है। केंद्र ने इसके लिए विस्तृत गाइड लाइन जारी कर दी है जिसे सभी ग्राम पंचायतों में लागू किया जाना अनिवार्य है|
केंद्र व राज्यों की ढेर सारी योजनाओं की ज्यादातर धनराशि सीधे ग्राम पंचायतों के बैंक खाते में पहुंचती है। केंद्र व राज्य के वित्तीय आयोगों की सिफारिशों के आधार पर भी ग्राम पंचायतों को काफी धन प्राप्त होने लगा है। इसके खर्च को लेकर लगातार सवाल उठते रहे हैं इसीलिए केंद्र सरकार ने पहले सभी पंचायतों से अपनी ग्राम पंचायत विकास योजना तैयार कराई है। देश में 2.60 लाख से अधिक ग्राम पंचायतें हैं। इनमें 31 लाख से अधिक प्रतिनिधि निर्वाचित हैं जिनमें 14 लाख महिला प्रतिनिधि हैं।
केंद्रीय ग्राम विकास व पंचायती राज मंत्री नरेंद्र तोमर ने गाइड लाइन जारी करने के बाद कहा कि ग्राम पंचायतों के कामकाज और वित्तीय लेनदेन में पारदर्शिता लाना बहुत जरूरी है। इससे पंचायतों की साख व प्रतिष्ठा बढ़ेगी और विकास के कार्य भी तेजी से होंगे। उन्होंने कहा कि पंचायतों के पास धन की कोई कमी नहीं है। कामकाज के साथ पंचायतों की जवाबदेही भी तय होनी चाहिए। पंचायतों की आत्मनिर्भरता से ही देश आत्मनिर्भर हो सकेगा। देश के 14 राज्यों की 20 फीसद ग्राम पंचायतों में लेखा परीक्षण का कार्य आनलाइन हो चुका है जिसे बढ़ाकर 100 फीसद करना है। देश को बुनियादी स्तर पर मजबूत बनाने में ग्राम पंचायतों की सबसे बड़ी भूमिका है।