फर्रुखाबाद:(नगर संवाददाता) हिंदुओं में शीतला (बसौड़ा)अष्टमी का विशेष महत्व है। शीतला माता को समर्पित यह दिन होली के आठवें दिन मनाया जाता है। रविवार को बड़ी संख्या में श्रद्धालु माँ के दरबार में हाजिरी लगानें के लिए उमड़े| काफी लम्बी लाइनें भी लगी रहीं|
शहर के बढ़पुर स्थित शीतला माता मन्दिर में बसौड़ा अष्टमी को मेले जैसा माहौल था| मन्दिर की प्रतिमा से लेकर बाहर गेट तक लाइनें नजर आयीं| सुरक्षा व्यवस्था के लिए पुलिस बल भी तैनात किया गया था| शीतला माता की पूजा में मां को भोग बासी ठंडा खाना से लगाया गया| इसके बाद उसी प्रसाद को ग्रहण किया गया| मुख्य रूप से दही, रबड़ी, चावल, हलवा, पूरे आदि का भोग लगाया गया| शीतला माता मंदिर में पूजन के बाद श्रद्धालुओं ने परम्परा के हिसाब से घर आकर जहां होलिका दहन हुआ था, वहां भी पूजा की| आचार्य सर्वेश कुमार शुक्ल नें बताया कि शीतला अष्टमी के बाद से ही ग्रीष्मकाल की शुरुआत हो जाती है। मान्यता है कि शीतला माता की पूजा करने से दाहज्वर, पीतज्वर, चेचक, दुर्गन्धयुक्त फोडे, नेत्र विकार आदि रोग भी दूर हो जाता है| यह व्रत रोगों से मुक्ति दिलाता है और आरोग्य प्रदान करता है। दरअसल प्राचीन काल में बच्चों के शरीर पर माता निकल आती थी यानी छोटे-छोटे दाने पूरे शरीर पर निकल आते थे। बुजुर्ग इसे माता इसलिए इस दिन माता शीतला को प्रसन्न करने के लिए उनकी पूजा करते थे| इसलिए इस दिन माता शीतला को प्रसन्न करने के लिए उनकी पूजा करनें के बाद बासी भोजन किया जाता है।