लखनऊ: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को अपने कार्यक्रम मन की बात में कौशाम्बी जिला जेल के कैदियों के प्रयास को जमकर सराहा। कौशाम्बी जिला जेल में कैदी फटे कम्बलों से गायों को ठंड में बचाने के लिए कोट तैयार कर रहे हैं।
रविवार को बन की बात कार्यक्रम में पीएम मोदी ने कहा कि कौशाम्बी जिला जेल के कैदी बेमिसाल काम कर रहे हैं। वहां पर कैदी गाय तथा अन्य जानवरों को ठंड से बचाने के लिए फटे तथा बेकार कंबलों को जूट के बैग या अन्य उत्पादों में सिलकर कोट बना रहे हैं। इन फटे या बेकार कंबलों को कौशाम्बी तथा पास के जिलों से एकत्र किया जाता है। इसके बाद इनको सिलकर कोट बनाया जाता है। इन कोट को पास की गौशाला में भेजा जाता है। यहां पर एक हफ्ते में अनेकों कवर बनाए जाते हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आइए दूसरों तथा बेजुबानों की देखभाल के लिए सेवाभाव से भरे इस प्रकार के प्रयास को हम सभी लोग प्रोत्साहित करें। पीएम मोदी ने कहा कि देश के लोगों में परिवर्तन आ रहा है। देश में नया सामर्थ्य पैदा हुआ है। इस नए सामर्थ्य का नाम आत्मनिर्भर है। हम सब आत्मनिर्भर भारत का संकल्प लें।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज मन की बात कार्यक्रम में जिला जेल कौशाम्बी, टेंवा में कैदियों द्वारा गोवंश के लिए बनाए गए कोट की चर्चा की। यहां कैदी गोदाम में रखे फटे तथा पुराने कंबलों को जूट तथा बोरा के साथ लगाकर सिलते हैं। इनको कोट का नाम दिया गया है। यह कोट ठंड में बेहाल बेसहारा मवेशियों को पहुंचाए जा रहे हैंं जो गो-आश्रय स्थलों में रखे गए हैं।
हम सभी के लिए गर्व का क्षण : डीजी जेल आनंद कुमार
कैदियों के साथ-साथ जिला और जेल प्रशासन के अधिकारी इस बात का जिक्र होने पर गदगद हैैं। डीजी जेल आनंद कुमार ने कहा कि हम सभी के लिए गर्व का क्षण है कि कौशाम्बी जेल का पीएम के मन की बात में उल्लेख किया गया। यहां पर गायों तथा अन्य मवेशियों को ठंड के मौसम से बचाने के लिए कोट तैयार किया जा रहा है। गौ रक्षा एक पुनीत कार्य है। मुकुंद और उनकी टीम को इस सराहनीय काम के लिए मेरी बधाई।
कोट बनाने का काम कर रहा दस-दस कैदियों का ग्रुप: बीएस मुकुंद
कौशाम्बी के जेल अधीक्षक बीएस मुकुंद ने कहा कि कौशाम्बी जेल के कैदी पुराने और फटे हुए कंबल का इस्तेमाल कर गायों को ठंड से बचाने के लिए कोट बना रहे हैं। यहां पर दस-दस कैदियों का ग्रुप कोट बनाने का काम कर रहा है। दस-दस कैदियों की एक टीम मवेशियों के लिए कवर की सिलाई कर रही है। फिलहाल तो मंझनपुर की एक गौशाला में 50 कोट के एक पैकेट की आपूर्ति की जा रही है। बीएस मुकुंद ने बताया कि हमने कई जेलों से पुराने और फटे हुए कंबल एकत्र किए हैं। उन्हेंं कपड़े की शीट की मोटी चादर के साथ सिलाई करके मवेशियों के लिए कोट बनाने के लिए उपयोग कर रहे हैं। सर्दियों के दौरान कैदियों को आवंटित कंबल आमतौर पर लगभग तीन साल तक चलता है। उसके बाद घिसे-पिटे, फटे कंबल का इस्तेमाल गायों के लिए कोट सिलने के लिए किया जाता है। एक महीने में करीब हजार कोट बनाने का लक्ष्य रखा गया है।
प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने पशुपालन विभाग के माध्यम से विभिन्न जिलों में पशु चिकित्सा अधिकारियों से कहा है कि वे सर्दियों के महीनों के दौरान राज्य के गौशालाओं में गायों के लिए उचित सुरक्षा सुनिश्चित करें। फिलहाल अधिकारी गौशालाओं की गाय के लिए कोट, कवर की व्यवस्था कर रहे हैं जो ज्यादातर जूट के थैलों से बने हैं और गायों को गर्म रखेंगे। प्रदेश के सभी गाय के आश्रयस्थलों को भी मोटी पॉलीथीन के पर्दे या तिरपाल से ढका जा रहा है, ताकि ठंडी हवाएं अंदर न जा पाए। कई जिलों में मोटे पर्दे और कवर बनाने के लिए जूट के थैलों को एक साथ सिला जाता है। इन्हीं जूट के बैगों का इस्तेमाल गाय के कोट बनाने के लिए किया जाएगा, जिसे जानवरों को पहनाया जाएगा। जिला आपूर्ति विभाग जूट बैग प्रदान करेगा। कुछ जिलों में मनरेगा बजट के तहत ग्राम पंचायतें गाय के लिए कोट तैयार करेंगी और गाय आश्रयों को पॉलीथिन और अन्य सामग्री के साथ बने कवर से ढका जाएगा। कौशाम्बी जेल में कैदियों ने इस तरह की पहल की है।