गोरखपुर: रेल कर्मचारियों और उनके परिजनों के लिए राहत भरी खबर है। गंभीर बीमारी होने पर अब उनका इलाज रेलवे प्रशासन के पैनल में शामिल निजी अस्पतालों में भी हो सकेगा। रेलवे बोर्ड ने अपने आदेश को वापस लेते हुए पैनल में शामिल अस्पतालों में भी इलाज की अनुमति दे दी है।
खर्चों में कटौती के लिए रेलवे बोर्ड ने निजी अस्पतालों में इलाज पर लगाई थी रोक
खर्चों में कटौती के लिए रेलवे बोर्ड ने 2 नवंबर को भारतीय रेलवे स्तर के चिकित्सा निदेशकों के हुई बैठक में निजी अस्पतालों की जगह सरकारी और प्रधानमंत्री आयुष्मान योजना से जुड़ें निजी अस्पतालों में कर्मचारियों और उनके परिजनों का इलाज कराने के लिए जोर दिया था। बैठक के क्रम में बोर्ड ने 23 नवंबर को रेलवे बोर्ड ने आदेश भी जारी कर दिया था। बोर्ड ने कर्मचारियों के रेफर केस और आने वाले खर्चों की आडिट और समीक्षा कराने के लिए भी जोनल कार्यालयों को निर्देशित किया था।
आल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन व कर्मियों के विरोध के बाद वापस लिया फैसला
इसको लेकर कर्मचारियों और कर्मचारी संगठनों में आक्रोश बढ़ गया। आल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन (एआइआरएफ) के महामंत्री शिव गोपाल मिश्रा ने इस मामले को रेलवे बोर्ड अध्यक्ष के सामने प्रमुखता से उठाया था। अंतत: बोर्ड ने कर्मचारियों को सहूलियत देते हुए अपने आदेश को वापस ले लिया है। रेलवे बोर्ड के इस निर्णय पर एआइआरएफ के संयुक्त महामंत्री और एनई रेलवे मजदूर यूनियन (नरमू) के महामंत्री केएल गुप्त के अनुसार ललित नारायण मिश्र केंद्रीय चिकित्सालय के निदेशक को रेलवे बोर्ड के नए आदेश से अवगत करा दिया गया है। नए आदेश के प्रति प्रसन्नता जताते हुए उन्होंने कहा है कि सरकारी अस्पतालों के भरोसे कर्मचारियों की गंभीर बीमारियों का इलाज संभव नहीं है। रेलवे प्रशासन अपने अस्पतालों की व्यवस्था को दुरुस्त करे या पैनल में शामिल निजी अस्पतालों की सेवाओं को जारी रखे।
पैनल में शामिल हैं 15 अस्पताल, होता है कैशलेस इलाज
पूर्वोत्तर रेलवे चिकित्सा विभाग के पैनल में गोरखपुर के 15 निजी अस्पताल शामिल हैं। जहां गंभीर बीमारी होने पर कर्मचारियों को रेफर किया जाता है। रेलवे प्रशासन और निजी अस्पतालों के बीच अनुबंध होता है। इसके चलते कर्मचारियों का कैशलेस (बिना पैसे के) इलाज हो जाता है। जो भी खर्च आता है रेलवे प्रशासन निजी अस्पतालों की प्रतिपूर्ति करता है।