कानपुर:(जेएनआई) शहर में नागपंचमी पर्व को बड़े धूमधाम से मना जाता है। इस बार संक्रमण के चलते नागपंचमी पर शहर के शिवालयों में विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन इस बार न होकर श्रद्धालु घरों से ही नागदेवता का स्मरण करेंगे। इस बार 25 जुलाई को नागपंचमी पर्व मनाया जाएगा। भक्त कालसर्प दोष को दूर करने के लिए पूजन करेंगे।
सुबह सात बजे से शुरू हो जाएगा पूजन का शुभ मुहूर्त
नागपंचमी पर्व में शहर के मंदिरों में रुद्राभिषेक और धाॢमक आयोजन के साथ गुडिय़ा का मेला लगाने की प्रथा चली आ रही है। भारतीय ज्योतिष परिषद के अध्यक्ष केए दुबे पद्मेश का कहना है कि इस दिन जिसकी कुंडली में कालसर्प दोष होता है, उनको पूजन अवश्य पूजन करना चाहिए। उन्होंने बताया कि इस बार पूजन का शुभ मुहूर्त सुबह सात बजे से शुरू होकर पूरे दिन रहेगा। नागदेव शिवजी के आभूषण हैं। सोमवार शिव का प्रिय दिन है। इस माह की पंचमी को नाग पंचमी की पौराणिक परंपरा है। नागदेव की पूजा से भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं। मान्यता है कि सर्पों के 12 स्वरूपों की पूजा करने और दूध चढ़ाने से मनोकामना पूर्ण होती है। इसी दिन माल रोड स्थित खेरेपति मंदिर में सापों का श्रृंगार और नवाबगंज स्थित जागेश्वर महादेव मंदिर में होने वाला दंगल पूरे प्रदेश में चॢचत है।
पूजन से दूर होता है सर्प दोष
धूनी ध्यान केंद्र के डॉ. आचार्य अमरेश मिश्र ने बताया कि पुराणों के अनुसार सावन की पंचमी नाग देवता को समॢपत होती है। पौराणिक कथा यह भी है कि सृष्टि रचयिता ब्रह्मा जी ने शेषनाग को अलंकृत किया था। पृथ्वी का भार धारण करने से नाग देवता की पूजा शुरू हुई। तब से यह परंपरा आज तक चल रही है। सर्प दोष दूर करने के लिए इस दिन पूजा होती है। इस दिन व्रत रखने वाले को मिट्टी या आटे के सांप बनाकर अलग-अलग रंगों से सजाना चाहिए। सजाने के बाद फूल, खीर, दूध, दीप आदि से उनका पूजन करें। नाग देवता को पंचम तिथि का स्वामी माना जाता है। नाग देवता को दूध पिलाने से राहु-केतु का असर खत्म होता है। सुख-समृद्धि के लिए ओम नम: शिवाय मंत्र का जाप करें।