भ्रष्टाचार का भूत निगल रहा महिलाओं की आबादी को

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हाल ही में सम्पन्न भारतीय राष्ट्रीय जनगणना कार्यक्रम के आंकड़ो के विश्लेषण बेहद चौकाने वाले हैं| भारत के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश में महिला पुरुष के अनुपातिक अंतर के पीछे भ्रूण हत्या के मुकाबले कुपोषण ज्यादा जिम्मेदार है| ये तथ्य जनगणना के विश्लेषण के बाद निकले हैं| मगर जब केंद्र सरकार और राज्य सरकार पिछले बीस साल से बच्चियो के पोषण और आर्थिक सामाजिक विकास पर खर्च पुरुषो के मुकाबले लगभग दोगुना करती है तब ये हालात चौकाने वाले हैं| क्या भ्रष्टाचार का भूत यहाँ भी मासूम बच्चिओं का निबाला गटक रहा है|

सामाजिक पिछड़ेपन की संज्ञा देकर पढ़े लिखे लोग अपने खुद के मानसिक पिछड़ेपन को छिपाने का प्रयास भले ही करें मगर सरोकार यही है कि उत्तर प्रदेश में नारी अभी भी दोयम दर्जा पाती है| सरकार के नुमएंदे भी उसके हिस्से का निबाला बड़े मजे में गटक रहे हैं| राष्ट्रीय बाल पोषण और सर्व शिक्षा अभियान के कार्यक्रम में बच्चियों को बटने वाली आयरन की गोलियां स्वस्थ्य विभाग के कर्मी गटक चुके हैं| कुपोषण पर अंकुश लगाने के लिए महिला कल्याण एवं बाल विकास विभाग की बटने वाली पंजीरी नेताओं और दूध डेरियों की गाय भैस खा रही हैं| फर्रुखाबाद जनपद में दूध उत्पादन में इनाम पाने वालो की गाय भैंस यही पंजीरी खा रही है| नगर में भ्रस्ताचार का नारा लगाने वाले एक नेता की डेरी, भप्पी लहरी स्टाइल में सोने की मोटी चेन पहनने वाले एक बसपा नेता की डेरी में भी नौनिहालों की पंजीरी गाय भैंस खा रही हैं| न सरकार को चिंता न हुक्मरानों को| वर्ना फर्रुखाबाद में बिना उद्योग के कैसे लोग हर छठे महीने नयी सफारी बदल रहें हैं|

एक डॉक्टर आजकल अखबार में क्रांति के लेख का विज्ञापन छपवाकर खुद को समाजसेवी स्थापित कर रहे हैं| सारा नगर जानता हैं कि फर्रुखाबाद की स्टेट बैंक गली में भ्रूण हत्या का सबसे बड़ा कारोबार होता रहा| जिस सामान्य अल्ट्रासाउंड के ३५०/- लगते हो वही अल्ट्रा साउंड बिना किसी लिखापढ़ी और फोटो आदि के १४००/- कैसे देता रहा| स्वस्थ्य मंत्री भक्त बन अब सौ सौ चूहे खाकर बिल्ली हज को जा रही है| महिलाओं की आबादी घटाने में ऐसे डाक्टरों का भी योगदान रहा है| हालाँकि सारा दोष इन डाक्टरों का नहीं है क्यूंकि भूर्ण परीक्षण एक मात्र कारक नहीं हैं महिलाओं की घटती आबादी के लिए|

जनगणना के आंकड़े बताते हैं कि सामाजिक चेतना, शिक्षा की जागरूकता और मीडिया की बढ़ती पहुच मानसिक स्थितिओं को बदलने में कामयाब रहा है| आंकड़े ये भी साफ़ कर रहे हैं कि अभी भी महिलाओं को उनकी जरुरत का भरपूर पोषण नहीं मिल पाता है| नर के मुकाबले अभी मादाओं को दोयम मान रहा है समाज का कुछ तबका और ऊपर से भ्रष्टाचार के साया सुरसा की तरह सब कुछ तहस नहस करने को मचल रहा है|