विकास की जगह सपा में उलझ गयी बसपा

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मार्च का महीना अगले साल का बजट बनाने का होता है, बच्चो की परीक्षाओं का होता है, बीतते वित्तीय वर्ष के बचे विकास के धन को खर्च करने का है मगर उत्तर प्रदेश में मार्च 2011 का महीना मायावती सरकार के लिए इन सबसे इतर समाजवादी पार्टी से निपटने का है| पहले 3 दिन के समाजवादी प्रदर्शन से निपटने के लिए राज्य का हर छोटा बड़ा सरकारी अमला लग गया, आन्दोलन शुरू होने के एक हफ्ते पहले शुरू हुई कवायद समाजवादियो के जेल से बाहर आने पर सांस ले ही पाई थी कि मुलायम ने 17 मार्च को गाँव गाँव बसपा सरकार की बुराई करने की घोषणा कर दी|

बसपा की मुखिया मायावती ने 17 मार्च को मुलायम सिंह और उनके सिपाहियों से निपटने को सरकारी अमला फिर दौड़ा दिया है| लखनऊ से जिला मुख्यालयों पर संदेशो पर संदेशे आने शुरू हो गए है| लाल नीली बत्तिओं वाली आयुक्तों, आईजी, डीआईजी की गाड़ियाँ सपा की साइकिल की रफ़्तार से मुकाबला करने को दौड़ा दी गयी है| हर जिले में देर रात तक सरकारी बैठको का दौर जारी है| चिंता विकास पर नहीं साइकिल की रफ़्तार पर हो रही है| सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पुलिस तंत्र की मदद के लिए लेखपाल और ग्राम सचिवो तक को सूचनाएँ एकत्र करने की जिम्मेदारी दी गयी है|

बात एक जिले फर्रुखाबाद की कर लेते है- जिले में साल भर में मनरेगा योजना में मिले कुल 34 करोड़ में से 15 करोड़ सरकारी अमला खर्च नहीं कर पाया| हाई स्कूल और इंटर की बोर्ड परीक्षाओं की शुरुआत इसी माह होनी है| पंचायतो की पहली आम सभा की बैठके इस वित्तीय वर्ष में एक भी नहीं हो पाई है|