धरोहर का सौदाः तीन लाख में गयी महादेवी की जन्मस्थली

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नागिरकों ने जड़ा ताला

फर्रुखाबाद, कवियत्री महादेवी वर्मा की जन्मस्थली कहा जाने वाला एतिहासिक मकान शुक्रवार को मात्र तीन लाख रुपये में बिक गया। स्थानीय लोगों ने इसका विरोध करते हुए दरवाजे पर ताला डाल दिया है। बैनामें के विरोध में  नागरिकों ने डीएम से शिकायत करने की घोषणा की है।
जनपद के मोहल्ला गणेश प्रसाद के जिस मकान में 1907 में महादेवी वर्मा का जन्म फाल्गुनी पूर्णिमा के दिन उनके मामा भैयालाल ओवरसियर के यहां हुआ था उस मकान का शुक्रवार को मात्र तीन लाख रुपये में सौदा हो गया। पिछले वर्ष भी मकान को बेचने का प्रयास हुआ तो स्थानीय लोगों ने तत्कालीन जिलाधिकारी तीर्थराज त्रिपाठी से मिलकर अपना विरोध दर्ज कराया था और मकान पर अपना ताला डाल दिया था। मकान बिक्री से दो दिन पहले ही यह ताला तोड़ दिया गया था। कुरसवां कानपुर निवासी ललित मोहन बाजपेयी की पत्नी कश्मीरा देवी बाजपेयी ने मोहल्ला गनेश प्रसाद स्ट्रीट निवासी पंकज गुप्ता की पत्नी पिंकी गुप्ता के नाम तीन लाख रुपये में लिखा-पढ़ी कर दी। विदत है कि आठ साल पहले महादेवी स्मृति पीठ ने इस मकान को खरीदकर वहां महादेवी संग्रहालय बनाने की योजना बनायी थी। मकान को खरीदने के लिए ललित मोहन से बात करने को रमेश चंद्र त्रिपाठी की की अध्यक्षता में समिति गठित की गयी थी। हालांकि उसके बाद इस दिशा में कोई ठोस प्रयास नहीं हुआ।

मजे की बात है कि सात दिन बाद फाल्गुनी पूर्णिमा है। इसी दिन महादेवी वर्मा का जन्म हुआ था। हर वर्ष फाल्गुनी पूर्णिमा को महीयसी की जयंती पर साहित्यकार उनके प्रतिमास्थल पर जाकर पुष्प चढ़ाते है।
महादेवी वर्मा के मामा भैयालाल ओवरसियर ने यह मकान अपने मित्र की बेटी सुराज देवी को रहने के लिए दे दिया। सुराज देवी के कोई संतान नहीं थी। मरने से पहले सुराज देवी ने मकान की चाबी कानपुर में रहने वाली बहन कश्मीरा देवी बाजपेयी को सौंप दी। कश्मीरा के पति ललित मोहन बाजपेयी दो साल पहले मकान में रखा सारा सामान उठा ले गये थे।