शासन तय करेगा आलू भंडारण शुल्क

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फर्रुखाबाद: आलू भंडारण शुल्क को लेकर भाकियू और शीत गृह मालिकों के बीच कोई समझौता नहीं हो सका। अंत में अपर जिलाधिकारी ने प्रकरण शासन को संदर्भित किये जाने की बात कह कर पिंड काटा।

किसान भंडारण शुल्क 125 रुपये रखे जाने की मांग कर रहे थे जबकि शीत गृह मालिक 135 रुपये प्रति कुंतल की दर वसूलने पर अडिग रहे।

भाकियू नेताओं, प्रशासन और शीतगृह स्वामियों की त्रिपक्षीय वार्ता के दौरान शीतगृह मालिकों ने यूनियन से 135 रुपये क्विंटल तय भंडारण शुल्क को कम न करने की घोषणा की। उनका कहना था कि बिजली व डीजल के दाम के साथ महंगाई होने से भंडारण शुल्क कम करना संभव नहीं है। भाकियू नेताओं ने भी क्षमता से अधिक भंडारण करने एवं आलू की अधिक तौल दिखाने का आरोप लगाकर 125 रुपये की दर ही किराया निर्धारण करने की मांग उठायी। दोनों पक्षों में आरोप-प्रत्यारोप के बीच तकरार हो गयी। अधिकारियों ने शांत किया। भाकियू नेता अरविंद राजपूत ने बताया कि किसान 125 रुपये से अधिक किराया शीतगृह मालिक को भुगतान नहीं करेंगे। अपर जिलाधिकारी सुशील चंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि शीतगृह भंडारण का शुल्क तय करने के लिए शासन को लिखा जायेगा। आलू उद्यान अधिकारी को इस संबंध में निर्देश दिये गये हैं। जिला आलू विकास अधिकारी एमसी भारती ने बताया कि शासन की नियमावली 1997 के अनुसार शीतगृह स्वामियों को भंडारण शुल्क तय करने का अधिकार प्राप्त है, ऐसे में शासन ही कोई निर्णय कर सकता है।