फर्रुखाबाद:(मोहम्मदाबाद) श्री रघुनाथ कथा के तीसरे दिन कथा व्यास प्रेमभूषण महाराज ने कहा कि विवाह परमार्थ यात्रा की प्रवेशिका है। ग्रहस्थ आश्रम स्वयं में श्रेष्ठ और पूज्य है। वही उन्होंने कहा कि राम कथा मनुष्य के जीवन का सबसे बड़ा आनन्द है|
सहसपुर में कथा के दौरान प्रेमभूषण महाराज ने कहा कि विवाह परमार्थ यात्रा की प्रवेशिका है। ग्रहस्थ आश्रम स्वयं में श्रेष्ठ और पूज्य है। भगत का भोग भजन है। सामान्य जीव का भोग विषयी है। पिता पुत्र की आत्मा है और पत्नी की आत्मा पति है। रामकथा संसयरूपी पक्षियों को उड़ा देती है। कथा मनुष्य के जीवन का आनन्द है। सगुण और निर्गुण दोनों एक है कैसे जैसे जल और वर्फ भगत के प्रेम में प्रभु सगुण स्वरूप में आ जाते है और जल को जिस सांचे में डाल दो वैसी ही वर्फ उसी स्वरूप में जम जायेगी।
प्रेमभूषण जी महाराज ने कहा कि क्रोध पर वश होना चाहिये। क्रोध से बुद्धि का विनाश हो जाता है। क्रोध अबोधता का परिणाम है। भगवान जन्म नहीं लेते। भगवान प्रकट होते है। क्रोध ने किसी का कभी कल्याण नहीं किया। क्रोध केवल मां और गुरू का ही कल्याण करता है। भगवान जन्म नहीं लेते। भगवान प्रकट होते है। क्रोध ने किसी का कभी कल्याण नहीं किया। क्रोध केवल मां और गुरू का ही कल्याण करता है। उन्होंने कहा है कि श्राप किसी को नहीं देना चाहिये। श्राप से सदैव बचना चाहिये। श्री महाराज जी ने कहा कि भक्त को कभी भी भगवान को बांधना नहीं चाहिये।
कथा के बाद मुख्य यजमान डाॅ० अनुपम दुवे एडवोकेट ने अपनी धर्मपत्नी मीनाक्षी दुवे, ब्लाक प्रमुख अमित दुवे ‘बब्बन’, अनुराग दुवे ‘डब्बन’ अभिषेक दुवे, सीतू दुवे एवं परिवार के साथ आरती उतारी। भक्तों को प्रसाद वितरण किया गया।