लखनऊ: हमीरपुर जिले के भाजपा विधायक अशोक कुमार सिंह चंदेल को फिर बड़ा झटका लगा है।22 साल पहले 1997 में हुए हत्याकांड के मामले में 19 अप्रैल को इलाहाबाद हाईकोर्ट से विधायक अशोक कुमार सिंह चंदेल को आजीवन कारावास की सजा सुनाए जाने के बाद अब उनकी विधायकी भी चली गई है।यानि चंदेल की सदस्यता समाप्त कर दी गई है। चंदेल की सदस्यता 19 अप्रैल से समाप्त मानी जाएगी।
हाईकोर्ट के फैसले का संज्ञान लेते हुए भारत निर्वाचन आयोग द्वारा आवश्यक औपचारिकता पूरी किये जाने के बाद विधानसभा सचिवालय ने गुरुवार को चंदेल की सदस्यता निरस्त होने के कारण विधानसभा में उनका स्थान रिक्त घोषित कर दिया। संबंधित अधिसूचना के मुताबिक यह स्थान 19 अप्रैल, 2019 से रिक्त माना जाएगा। हमीरपुर के भाजपा विधायक अशोक कुमार सिंह चंदेल को 22 वर्ष पहले हुए सामूहिक हत्याकांड के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। इसके बाद मुख्य निर्वाचन अधिकारी एल वेंकटेश्वर लू ने विधानसभा प्रमुख सचिव और प्रमुख सचिव गृह को पत्र लिखा था, जिसमें अशोक चंदेल की विधानसभा की सदस्यता समाप्त करने की मांग की गई थी।
12 विधानसभा क्षेत्रों में होगा उप चुनाव
अशोक कुमार सिंह चंदेल की विधानसभा की सदस्यता समाप्त होने से हमीरपुर में भी उप चुनाव होना तय हो गया है। 11 विधायकों के सांसद बन जाने के बाद अब कुल 12 विधानसभा क्षेत्रों में उप चुनाव होगा। सहारनपुर के गंगोह, अलीगढ़ के इगलास, फीरोजाबाद के टुंडला, प्रतापगढ़, कानपुर के गोविंदनगर, चित्रकूट के मानिकपुर, बाराबंकी के जैदपुर, लखनऊ की कैंट और बहराइच के बलहा विधानसभा क्षेत्र के सदस्यों के लोकसभा सदस्य बनने के बाद यहां उप चुनाव होगा। सांसद बनने वाले ज्यादातर विधायकों ने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है।
हाईकोर्ट ने सुनाई थी उम्रकैद की सजा
करीब 22 वर्ष पूर्व 26 जनवरी 1997 को मुख्यालय निवासी राजीव शुक्ला के दो भाइयों व एक भतीजे सहित पांच लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। 19 अप्रैल को उच्च न्यायालय ने हमीरपुर से भारतीय जनता पार्टी के विधायक अशोक सिंह चंदेल सहित सभी 10 आरोपितों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। आरोपितों को 2002 में हमीरपुर के एडीजे ने दोषमुक्त करार देते हुए बरी कर दिया था।
यह रहा घटनाक्रम
तथ्यों के अनुसार 26 जनवरी, 1997 शाम साढ़े सात बजे हमीरपुर के सुभाष नगर में राजीव शुक्ल के भाइयों राजेश कुमार शुक्ल और राकेश कुमार शुक्ल, अंबुज उर्फ गुड्डा, श्रीकांत पांडेय और वेद प्रकाश की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। घटना के चश्मदीद राजीव शुक्ल ने रात को 9:10 बजे विधायक अशोक सिंह चंदेल व अन्य को नामजद करते हुए थाने में हत्या और हत्या के प्रयास का मुकदमा दर्ज कराया था। पुलिस ने विवेचना के बाद अशोक सिंह चंदेल, रघुवीर सिंह, डब्बू सिंह, उत्तम सिंह, प्रदीप सिंह, नसीम, श्याम सिंह, साहब सिंह, झंडू और भान सिंह के खिलाफ विभिन्न धाराओं में तथा शस्त्र अधिनियम के तहत चार्जशीट दाखिल की।
एडीजे ने दोषमुक्त करार देते हुए बरी कर दिया था
विचारण के बाद अपर जिला और सत्र न्यायाधीश ने 17 जुलाई, 2002 को इस बहुचर्चित हत्याकांड के सभी 10 आरोपितों को दोषमुक्त कर दिया। अदालत ने प्राथमिकी में देरी के साथ चश्मदीद गवाह राजीव शुक्ल के बयान तथा चोटिल हुए रविकांत पांडेय की घटना के समय मौजूदगी और फोरेंसिक रिपोर्ट को संदेहास्पद माना था। राज्य सरकार और पीडि़त राजीव शुक्ल ने निचली अदालत के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील दाखिल की थी।
हाईकोर्ट से सजा सुनाए जाने के बाद चंदेल ने 14 मई को कोर्ट में सरेंडर किया था। इसके बाद उन्हें जेल भेज दिया गया था। इस दौरान मामले के अन्य दोषियों रघुवीर सिंह, नसीम और भान सिंह ने भी समर्पण कर दिया था। कोर्ट में सरेंडर करते वक्त उनके साथ बड़ी संख्या में समर्थक थे। उन्होंने अपने समर्थकों के साथ ‘शोड शो’ की तरह कोर्ट में सरेंडर किया। सरेंडर करने के दौरान विधायक के समर्थकों और पुलिस के बीच धक्का-मुक्की भी हुई. इस मामले में 400 अज्ञात समर्थकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया।