स्कूल अपने स्तर पर जारी करेंगे बोर्ड परीक्षा प्रवेश पत्र और रोलनंबर
7 मार्चः यूपी बोर्ड की परीक्षा में इस बार एक विशेष प्रकार का मजाक होने जा रहा है। नकलचियों और नकल माफिया के दुष्चक्र में कसमससा रही व्यवस्था ने लगता है कि इस बार पूरी तरह से हथियार डाल दिये हैं। नकल के लिये बदनाम अनेक विद्यालयों को जहां एक बार फिर से परीक्षा केंद्र बना दिया गया है वहीं बोर्ड अभी तक लगभग आधे से भी कम परीक्षार्थियों के ही प्रवेश पत्र तैयार कर सका है और परीक्षा में मात्र दस दिन से भी कम समय शेष बचा है। जाहिर है कि बोर्ड के सामने अब स्कूलों को ही अपने स्तर से प्रवेश पत्र और रोलनंबर जारी करने की अनुमति देने के अलावा कोई चारा नहीं बचा है।
बोर्ड परीक्षा में केवल दस दिन शेष हैं। अब तक सभी परीक्षार्थियों को प्रवेश पत्र मिल जाने चाहिए थे ताकि उसमें कोई गड़बड़ी हो तो सुधार किया जा सके। यूपी बोर्ड की हाईस्कूल, इंटरमीडिएट परीक्षा में इस वर्ष लगभग 55 लाख पीक्षार्थी शामिल हो रहे हैं। लेकिन बोर्ड कर्मचारियों की हीलाहवाली की वजह से लगभग 32 लाख परीक्षार्थियों की नामावली अब तक तैयार नहीं है। नामावली तैयार होने के बाद उसे स्कूल से संशोधित कराया जाता है, उसी आधार पर रोलनंबर तय कर प्रवेश पत्र बनाया जाता है। नामावली जारी न होने से आगे की सारी प्रक्रिया ठप पड़ी है। परीक्षा समिति से जुड़े सूत्रों के अनुसार रविवार से नामावली जारी कर संशोधन शुरू हो जाए तो भी दस दिन में 15 लाख से अधिक अभ्यर्थियों का प्रवेश पत्र तैयार नहीं हो सकता। साफ है कि परीक्षा में बैठाने के लिए स्कूल अपने स्तर पर रोलनंबर और प्रवेश पत्र जारी करेंगे जिससे परीक्षा के दौरान और फिर परिणाम तैयार करने में भारी गड़बड़ी होना तय है। प्रवेश पत्र के लिए परीक्षा समिति की दो बैठकें हो चुकी हैं लेकिन हैरान करने वाली सच्चाई यह है कि अब तक 32 लाख से अधिक छात्रों की नामावली तैयार नहीं हुई। नामावली तैयार न होने के कारण हाईस्कूल के छात्रों का विज्ञान और शारीरिक शिक्षा प्रायोगिक परीक्षा का नंबर बोर्ड को नहीं भेजा जा सका।
फर्जी पंजीकरण, फॉर्म भरने में हेराफेरी, गलत छात्र संख्या दिखाने, मनमानी केंद्र के लिए धमकाने के तमाम आरोप और जांच में दोषी पाए जाने के बाद भी हजारों बदनाम स्कूलों को केंद्र बना दिया गया। इन स्कूलों, संचालकों और छात्रों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। दो दिन पहले लखनऊ में हुई परीक्षा समिति की बैठक में इनके खिलाफ कार्रवाई का प्रस्ताव भी तैयार हुआ लेकिन माध्यमिक शिक्षा विभाग के बड़े अफसरों ने उसे अनदेखा कर दिया।