समाजवादी पार्टी की सत्ता आते ही बसों का रंग लाल सफ़ेद किया गया, बसपा की सरकार आने पर उन्हें नीला सफ़ेद पोता गया| स्लोगन बदल गए| लोहिया से बहुजन हिताय हो गया| कमाल की रंगत है चाटुकारों की| सरकारों के बदलने के साथ व्यवस्था में सुधर आय न आय रंग बदल जाना चाहिए| जबसे से सूबे में भाजपा की सरकार आई है तमाम स्कूल और थानों की दीवारे तक भगवा रंग में पोती गयी मगर इन रंगों में राजनैतिक झंडे का रूप दिखता हो ऐसा भी नहीं है| फिर भी भगवा रंग में रंगी स्कूल की दीवारों को सफ़ेद पोतने का आदेश किया गया है| इस मामले में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी रामसिंह का रुख भी साफ़ है| उन्होंने जेएनआई को बताया कि उनकी इच्छा चले तो सभी सफ़ेद करा दे| इसके पीछे वे तर्क भी देते है कि सफ़ेद रंग सरस्वती का रंग है और वो ज्ञान/विद्या की माता है| मगर ये सम्भव नहीं है और भगवा रंग को सफ़ेद में बदलने के लिए बजट भी नहीं है| इसलिए चुनाव चिन्ह प्रतीकों को स्कूलों में हटवा या ढकवा किया गया है| रातो रात भगवा रंग को सफ़ेद करना सम्भव नहीं है|