लखनऊ।। उत्तर प्रदेश सरकार ने शिक्षा में भ्रष्टाचार के मामले में एक हजार से ज्यादा प्रिंसिपलों को चिन्हित किया है। इन स्कूलों के प्रधानाचार्यों पर नकल माफिया को शह देने के आरोप लगाए गए हैं। एजुकेशन सेंटर के रूप में उभरने वाले मेरठ में 500 से ज्यादा स्कूलों के मुखिया पर भ्रष्टाचार के दाग लगे हैं। इनसे जुड़े कॉलेजों को भी ब्लैक लिस्टेड कर दिया गया है।
मायावती सरकार ने शिक्षा विभाग से भ्रष्टाचार को दूर करने के लिए कड़े कदम उठाने का फैसला किया है। सरकार नहीं चाहती कि यूपी के बच्चे नकल कर परीक्षा में पास हों। इसी को ध्यान में रखकर इन प्रधानाचार्यों पर माध्यमिक शिक्षा परिषद अग्रिम कार्रवाई की तैयारी कर रहा है। इन प्रिंसिपलों से संबंधित स्कूल-कॉलेजों को ब्लैकलिस्ट करने के लिए कठोर कदम उठाए जा रहे हैं।
माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की सेक्रेटरी प्रभा त्रिपाठी ने बताया कि एजुकेशन माफिया की शह पर यूपी बोर्ड की परीक्षा को प्रभावित करने वालों मेरठ जोन के 500 प्रधानाचार्यों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश जारी किया गया है। वहीं बोर्ड परीक्षा में फर्जी तरीके से रजिस्ट्रेशन कराने वाले लगभग 73,000 छात्रों को भी बोर्ड परीक्षा से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है।
उन्होंने बताया कि वाराणसी-इलाहाबाद क्षेत्रीय कार्यालयों से जुड़े स्कूलों के लगभग 450 प्रधानाचार्यों पर भी कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इनमें हरदोई, इलाहाबाद और औरेया जिले शामिल है। अब परिषद ने यूपी के सभी जिलों के डीआईओएस से गड़बड़ी करने वाले स्कूलों की सूची तलब की है।
परिषद की सेक्रेटरी ने बताया कि आरोपी प्रिंसिपलों के एग्जाम से संबंधित कार्य करने पर अगले पांच साल तक प्रतिबंध लगाया जाएगा। वहीं ब्लैक लिस्टेड कॉलेजों को बोर्ड परीक्षा केंद्र बनाने से भी परहेज कर रहा है। इनकी मान्यता को वापस लेने की कवायद शुरू कर दी गई है। उनका कहना है कि बोर्ड परीक्षा की गरिमा बनाए रखने के लिए यह कदम शासन के दिशा-निर्देश पर उठाए गए हैं।