फर्रुखाबाद:होली का नाम आते ही जिस मस्ती का एहसास होता है, उसकी कल्पना मात्र से ही मन प्रफुल्लित हो उठता है। एकता और भाईचारे की प्रतीक होली में जहां सौहार्द का रंग उड़ेगा। वहीं, एक फिर सदियों पुरानी परंपरा जीवंत होगी। भक्त प्रहलाद और होलिका की कहानी को एक बार फिर होलिका दहन के दिन सभी की जुबां पर होगी। 14 मार्च से शुरू हुआ होलाष्टक होलिका दहन के दिन 20 मार्च को समाप्त होगा।
आचार्य सर्वेश शुक्ला ने बताया कि इस बार भद्रा के बाद ही होलिका दहन होगा। 20 मार्च को सुबह 10:44 बजे पूर्णिमा लगेगी और 21 को सुबह 7:12 बजे तक रहेगी। आचार्य ने बताया कि 20 को सुबह से रात्रि 8:07 बजे तक भद्रा रहेगी, इसके बाद ही होलिका दहन हो सकेगा। रात्रि 8:58 बजे से 10:43 बजे के बीच होलिका दहन किया जा सकता है। नौ बजे के बाद होलिका दहन श्रेयस्कर होगा।