भ्रष्टाचार से दुखी अफसर भी है!

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फर्रुखाबाद: आम जनता से लेकर खास आदमी तक और चपरासी से लेकर अफसर तक भ्रष्टाचार से द्रवित नहीं है ऐसा नहीं है| फर्रुखाबाद विकास मंच और गुलाबी गेंग के नगरपालिका में व्याप्त भ्रष्टाचार के खिलाफ आन्दोलन और धरना प्रदर्शन में ज्ञापन लेने गए नगर मजिस्ट्रेट को भी कहना पड़ा कि “नहीं सुधरे तो बदल दो”| एक नौकरशाह व्यवस्था के खिलाफ अपने दिल का दर्द व्यक्त करने के लिए शायद इससे ज्यादा कुछ नहीं कह सकता| मजबूरी में ही सही भरे चौक में माइक पकड़कर जनता के सामने ये शब्द कह देना ही जिम्मेदार पदों पर बैठे जनप्रतिनिधियो की बईमान छवि पर मोहर लगाने से कम नहीं| बेईमान बेशर्म नेताओ को या तो खुद कुर्सी छोड़ देनी चाहिए या फिर चुलू भर पानी में डूब मरना चाहिए|

भ्रष्टाचार के खिलाफ समाज के हर अंग को आगे आना होगा|

धरना प्रदर्शन शनिवार को हुआ था और रविवार को जनपद के छपे अख़बारों से नगर मजिस्ट्रेट की ये बात नदारद थी| किसी अधिकारी द्वारा खुले मंच पर व्यवस्था के लिए ये शायद उनके दिल के अन्दर की भड़ास थी जो अनायास ही निकल आई होगी| शायद भ्रष्टाचार के खिलाफ बिगुल फूकने वाले उत्साही युवको के मुकाबले ये नेता अखबारों में बड़े विज्ञापन से पत्रकारों और अखबारों को ज्यादा उपकृत करते हों मगर अख़बार जनता पढ़ती है और उसी से अखबारी दुकान चलती है| क्या पत्रकारों को अपनी महती भूमिका नहीं निभानी चाहिए| वर्ना क्या फर्क है इन भ्रष्टाचार के सूर्माओ में और उनकी काले कारनामे को उजागर न करने वाले हम पत्रकारों में| व्यवस्था तो नहीं है मगर पत्रकार जनता को आइना दिखाने का ठेका तो लिए ही है तो ऐसे में क्या चोरबाजारी के समय अपनी आख बंद कर लेना जुर्म में सहायता करने जैसा नहीं है|

हो सकता है कि इस बात को पढ़ने के बाद सत्ताधारी दल के नेता बहिन जी तक इसे शिकायत रूप में पहुचाये और एक अफसर का कुछ नुक्सान हो जाए| मगर जो सच है उसे बहुत अधिक दिनों तक नाकारा नहीं जा सकता| कौन नहीं जानता कि जिले में शीर्ष पदों पर बैठे अफसरों को हर माह नजराना लखनऊ तक पहुचना पढ़ता है| चाहे रो गा कर दो या फिर खुश होकर|

युवाओं को चाहिए कि वो हर रोज लोकतान्त्रिक तरीके से इसी तरीके से विरोध जारी रखे| कानून व्यवस्था बनाये रखे| और भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग में जे एन आई का जैसा भी सहयोग चाहिए उसे मिलने की उम्मीद बरक़रार रखें| नगरपालिका आम आदमी को सुविधाएं देने में नाकाम रहा है| पालिका अध्यक्ष ने पालिका को भी बिज़नस सेंटर बनाकर उसका सिर्फ दोहन किया है| अगर ये झूठ है तो पालिका अध्यक्ष को चाहिए कि वो भी जनता दरबार लगाकर किसी खुले मैदान में जनता के सवालों का उत्तर दे| क्या इनती हिम्मत है पालिका अध्यक्ष में| अगर है तो इसी लेख के नीचे कमेन्ट बाक्स में लिखें, जेएनआई वादा करता है कि उस खुले मंच की व्यवस्था खुद जेएनआई कर देगा| वर्ना ये मान लिया जाये कि जनता द्वारा लगाए गए एक एक आरोप सही है|