फर्रुखाबाद:मुहर्रम का चांद दिखाई देते ही शिया समुदाय गम में डूब गया। महिलाओं ने जेवर उतार कर सादा लिबास पहन लिया। मजलिसों का दौर भी शुरू हो गया। मातमी जुलूस निकाल कर या हुसैन, हाय हुसैन की सदाएं बुलंद की गई। इसके साथ ही साथ पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगाये गये|
शहर के मोहल्ला घेरशामू खां,जीआईसी गली,बूरा वाली गली, घुमना, चौक, पक्का पुल,टाउन हाल से होता हुआ कर्बला पंहुचकर समाप्त हुआ। अजादारों ने नौहाख्वानी व मातम किया। या हुसैन, हाय हुसैन की सदाएं बुलंद कीं। मौलाना सदाकत हुसैन सैथली ने नवासा-ए-रसूल हजरत इमाम हुसैन की कर्बला में शहादत का वाक्या बयान किया। इस दौरान लोगो ने पाकिस्तान मुर्दाबाद और हिन्दुस्तान जिंदाबाद के नारे भी बुलन्द किये|
मातम करने वाले ये पैग़ाम दे रहे थे की इमाम हुसैन व उनके परिवारीजन व साथियों का जो ख़ून कर्बला में बहाया गया उनके लिये हमारा ये ख़ून नज़राना ए अकीदत के तौर पर हाज़िर है। नौहाख्वानी के ज़रिये कर्बला ज़ुल्म की दास्तान काव्यात्मक रूप में ब्यान की गई जिसे सुनकर जुलूस में शामिल अकीदतमंदों के अलावा सुनने वाले अन्य मज़हब के लोगों की भी आंखों को नम होते देखा गया।