फर्रुखाबाद:(कंपिल)श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर हर जगह मंदिरों में सजावट तरह तरह से की गई। कहीं फूल मालाओं से तो कहीं बल्ब की झालरों से।सुबह से ही सजावट का कार्यक्रम शुरू कर दिया गया। गंगा किनारे अद्भुत छटा बिखेर रहा गीता ज्ञानाश्रम ,रामेश्वर नाथ मंदिर फूलों, झालरों से विधिवत सजाया गया है।
कंपिल एक पौराणिक स्थली है कंपिल का पूर्व नाम पांचाल नगरी था। राजा द्रुपद की पुत्री द्रोपदी यानी पांचाली का विवाह यहीं कंपिल नगरी में ही सम्पन्न हुआ था।द्रोपदी का श्रीकृष्ण के साथ भाई बहिन का रिश्ता था। शिशपाल का बध करते समय श्रीकृष्ण की उंगली कट गई थी। तब द्रोपदी ने अपनी साड़ी से चीर फाड़कर श्रीकृष्ण को बांधा था। उसी दिन से श्रीकृष्ण और द्रोपदी का भाई बहिन का रिश्ता है| श्रीकृष्ण ने ही द्रोपदी का विवाह अर्जुन से करवाया था। राजा द्रुपद ने अपने मित्र गुरु द्रोण को अपना मित्र नही माना था इसी का बदला लेने के लिए पांडवों से गुरु द्रोण ने गुरु दक्षिणा में द्रुपद को बंदी बनवा लिया था। बाद में राजा द्रुपद को गंगा के दक्षिण के तरफ का आधा राज्य लौटा दिया था। इसी बात का बदला लेने के लिए द्रुपद ने श्रीकृष्ण के कहने पर सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर अर्जुन से विवाह कराया था।श्री कृष्ण का कंपिल नगरी से इस प्रकार संबंध था।
कंपिल नगरी एक ऐतिहासिक व पौराणिक नगरी है इसकी महिमा का बर्णन कई पुराणों में मिलता है। यहाँ पर स्थित रामेश्वर नाथ मंदिर में भगवान शिव की मूर्ति त्रेतायुग में भगवान श्री राम के अनुज शत्रुघ्न द्वारा स्थापित है।दूर दराज से भक्त गण यहाँ शिव दर्शन, द्रोपदी कुण्ड व द्रोपदी स्वयंवर स्थल (वर्तमान ग्राम पहाड़पुर -कंपिल) में दर्शन करने आते हैं।
कंपिल में गीताज्ञानाश्रम मंदिर, रामेश्वर नाथ मंदिर, भूतेश्वर नाथमंदिर, कंपिल थाना में स्थित मंदिर, फटिकशिला शिव मंदिर , जिजौटा बुजुर्ग में देवी मंदिर आदि को सजाया गया।