फर्रुखाबाद:(मोहम्मदाबाद)भगवान श्रीराम के वनवास जाने के बाद महाराज दशरथ को अन्तिम समय श्रवण कुमार के अन्धे पिता के वो शब्द याद आते है कि मैं जैसे पुत्र वियोग में मर रहा हूँए तुम भी उसी वियोग में मरोगे और तुम्हारे पुत्र सामने नहीं होंगे। छोटे बनकर जीने में जो आनन्द है वह बड़े बनकर जीने में नहीं है। विकासखण्ड मोहम्मदाबाद क्षेत्र की ग्राम सभा सहसपुर में चल रही श्री रघुनाथ कथा के छठवंे दिन कोलकाता से आये मानस मर्मज्ञ राजन जी ने महाराज ने भरत चरित्र कथा का मनोहारि वर्णन करते हुये यह प्रसंग सुनाया। इससे पहले सुबह कार्यक्रम आयोजक डाॅ0 अनुपम दुवे ने राजन जी महाराज के साथ पांचालघाट स्थित दुर्वाषा ऋषि आश्रम पहुंचकर मां गंगा की आरती उतारी।
भरत चरित्र का वर्णन करते हुये राजन जी महाराज ने कहा कि भरत को जब पता चलता है कि बड़े भाई श्रीराम को राजगद्दी की बजाय चैदह वर्ष के लिये वनवास भेज दिया गया है तो वह नंगे पैर वन को निकल पड़ते है। वन में भगवान राम को देख उनकी आंखे छलक आती है भगवान राम भी भरत को सीने से लगा लेते है और दोनों भाईयों के नैनों से अश्रु की धारा बहने लगती है। भरत भ्राता राम से आग्रह करते है कि वह चलकर राजपाठ संभाले। भगवान राम कहते है कि पिता के वचन को पूरा करना उनका धर्म है। मैं अपना धर्म निभा रहा हूँ भरत तुम भी अपना धर्म निभाओ। इसके बाद भरत भगवान राम के खड़ाऊ सिर पर रखकर आयोध्या के लिये रवाना हो जाते है। भरत प्रभु राम से जाते समय वचन लेते है कि वनवास पूर्ण होने के पश्चात उन्होंने एक दिन का भी विलम्ब किया तो वह अपने प्राण त्याग देंगे। राजन जी महाराज ने कहा कि हर परिस्थिति को भगवत कृपा समझना चाहिये।
यही साधुता है। सभी लोग भरत का चरित्र अपने जीवन में उतारें इससे मनुष्य का कल्याण होगा। आनन्द की कोई परिभाषा नहीं होती। आनन्द का केवल अनुभव किया जा सकता है। जीवन में नाम का बड़ा महत्व है। जीवन को सरल बनाना सबसे कठिन कार्य है। मार्ग सभी से नहीं पूंछना चाहिये जो जिस मार्ग से गया हुआ हो उसी से रास्ता पूंछना सही रहता है। कथा समापन के बाद कार्यक्रम आयोजक डाॅ0 अनुपम दुवे ने पत्नी मीनाक्षी दुवे के साथ भगवान श्रीराम की आरती उतारी इसके बाद भक्तों को प्रसाद वितरण किया गया। भीषण गर्मी को देखते हुये कार्यक्रम आयोजक ने श्रद्धालुओं की सुविधा के लिये व कूलरों का भी इंतजाम किया था। इस अवसर पर ब्लाक प्रमुख अमित दुवे बब्बन, प्रधान कुसुमलता दुवे एवं मीनाक्षी दुवे,अनुराग दुवे डब्बन, अभिषेक दुवे जीतू आदि मौजूद रहे।