आज मिल सकता है समलैंगिक सेक्स का अधिकार

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नई दिल्ली केंद्र सरकार समलैंगिकों के दम्पत्ति की तरह साथ रहने की वैधानिकता के सवाल पर अपनी राय जाहिर करने से बचने की कोशिश कर सकती है।

सुप्रीम कोर्ट में आज कुछ याचिकाओं पर सुनवाई होगी। इनमें दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा दो साल पहले दिए गए फैसले को चुनौती दी गई है। फैसले में कहा गया था कि समान लिंग वाले दो व्यक्ति आपसी सहमति से सेक्स कर सकते हैं। हाईकोर्ट के मुताबिक, वह अप्राकृतिक सेक्स को आईपीसी की धारा 377 के तहत अपराध नहीं मानेगा।

जस्टिस जीएस सिंघवी और एके गांगुली की बेंच इन याचिकाओं पर सुनवाई करेगी। ये याचिकाएं राजनीतिक, सामाजिक और धार्मिक संगठनों ने दायर की हैं। इनमें दो ईसाई चर्च गठबंधन, तीन मुस्लिम एनजीओ, दो हिंदू ज्योतिषियों, योग गुरु बाबा रामदेव के एक शिष्य, दिल्ली पुलिस अधिकारियों द्वारा संचालित एनजीओ और एक पर्यावरणविद शामिल हैं। सरकार ने इस मुद्दे पर चुप्पी साध रखी है।

एक शीर्ष वकील व विधि मंत्रालय के सूत्र ने इस बारे में बताया, ‘हम इस मामले के असर को लेकर सचेत हैं। हाईकोर्ट ने नया कुछ नहीं कहा। अगर दो वयस्क लोग सहमति से सेक्स करते हैं तो कानून कुछ नहीं कर सकता। जब सहमति नहीं होती तब महिला के साथ हुआ सेक्स दुष्कर्म होता है।’

लेकिन जब सुप्रीम कोर्ट में विवाह के अधिकार के बड़े मसले पर विचार होगा तब सरकार के सामने गंभीर स्थिति होगी। शादी, उत्तराधिकार, गोद लेने और गुजारा भत्ता से जुड़े विभिन्न कानूनों पर असर पड़ेगा क्योंकि इनमें महिलाओं और बच्चों को खासा महत्व दिया गया है।