फर्रुखाबाद:(मोहम्मदाबाद) ग्राम सहसपुर में चल रही रघुनाथ कथा में बेटी के महत्व को बताया गया | आचार्य मनोज अवस्थी ने कहा कि वह घर-घर नही जिसमे बिटिया नही होती| सीता जी के बिदाई के समय का वर्णन करते हुये कहा कि बेटी की बिदाई एक पिता के लिये सबसे दुःखद क्षण होता है क्योंकि पिता बेटी को बहुत प्रेम करता है।
सोमवार को आचार्य ने कहा कि राजा दशरथ वानप्रस्थ में कर चुके थे, उन्होंने सोचा मुझे भी भक्ति में चला जाना चाहिये। यह सोचते हुये उन्होंने मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान राम को राजपाठ सौंपने का मन बनाया। सोचा कि राम को अब राजपाठ संभाल लेना चाहिये। राम राज्य अयोध्या में इसलिए नहीं आया कि दशरथ जी कैकेयी के काम जाल में फंसे थे। रामराज्य वहीं आ सकता है जहां कामराज्य नहीं हो। जब रामचन्द्र जी वन जाने लगे तब सीता ने कहा कि हम भी साथ चलेंगे तो भगवान राम ने कहा कि सीते तुमको शीशा देखने से भी डर लगता है ऐसे में तुम हमारे साथ घनघोर वन में कैसे रहोगी।
इतना सुनते ही माता सीता बोली हे प्रभु जहां आप होंगे वहां मुझे डरने की क्या आवश्यकता है। भगवान राम ने कहा जब तक राम तुम्हें सुन्दर लगेंगे, तब तक तुम पर कोई संकट नहीं आयेगा। अगर कोई तुमको राम के अलावा कोई भी आकर्षण अच्छा लगने लगेगा, उसी दिन तुम पर संकट आ जायेगा। आचार्य मनोज अवस्थी ने राम, लक्ष्मण, केवट संवाद का वर्णन करते हुये कहा कि जब भगवान राम वनवास को जाते है तो गंगा पार करने के लिये केवट से नांव मांगते है केवट अपने दोनों हाथ जोड़कर कहता है कि आप तो इस जग को भव से पार लगाते है मैं तो आपको नैया पार कराकर धन्य हो गया हूं। मैं आपसे उतराई क्या लूंगा। इतना सुनते ही भगवान राम केवट को गले लगा लिया जिससे केवट की नैया भव सागर से पार हो गई।
डाॅ0 अनुपम दुवे ने परिवार सहित भगवान राम की आरती उतारी। इसके बाद हजारों की संख्या में पहुंचे भक्तों को प्रसाद बांटा गया। इस अवसर पर प्रधान कुसुमलता दुवे, ब्लाक प्रमुख अमित दुवे ‘बब्बन’, अनुराग दुवे ‘डब्बन’, अभिषेक दुवे ‘जीतू’, सीतू दुवे, अशोक श्रीवास्तव, सोनू मिश्रा, रीतू दुवे, अरविन्द सोमवंशी, रत्नेश त्रिवेदी, सतीश बाजपेयी, मोनू यादव, कमलेश पाठक ब्लाक प्रमुख आदि मौजुद रहे|