इन समीकरणों के कारण फर्रुखाबाद से ब्राह्मण भाजपा प्रत्याशी पर हो रहा विचार

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Mala Suneel 22-6-12-1मिशन 2014 के लिए उत्तर प्रदेश में भाजपा की फर्रुखाबाद सहित दो एक सीट छोड़ हर सीट के लिए फ़ाइल काफी आगे बढ़ चुकी है| अंतिम फैसला राष्ट्रीय कार्यकारिणी में अंतिम दौर में होगा| यूपी के भाजपा प्रभारी अमित शाह की मुहर अभी किसी भी प्रत्याशी के लिए नहीं लगी है| फर्रुखाबाद सीट को लेकर आखिर ऐसा क्या है जिसको लेकर भाजपा कोई फैसला जल्दबाजी में नहीं करना चाहती|
फर्रुखाबाद विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद का संसदीय क्षेत्र है| मुकाबला राष्ट्रीय स्तर पर मीडिया में छाएगा| इस एक सीट की जीत हार का सन्देश कई सीटो को प्रभावित करेगा| इस बात को लेकर समाजवादी पार्टी, कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी में गहन चिंतन होता रहा और चुनाव तक चलेगा| वर्तमान में बसपा से जयवीर सिंह भदोरिया, सपा से रामेश्वर सिंह यादव को उनकी पार्टियो ने प्रत्याशी होने का दावा कर दिया है| कांग्रेस में परम्परागत सलमान खुर्शीद चुनाव लड़ते ही है| चाहे वे हारे या जीते| अब रही भाजपा के प्रत्याशी की घोषणा, तो भाजपा जल्दबाजी में नहीं दिखती| अलबत्ता सलमान खुर्शीद का चुनाव बहुत कुछ भाजपा से कौन प्रत्याशी बनेगा इस पर निर्भर करेगा| समाजवादी पार्टी से टिकेट बदलने के बाद पार्टी में पड़ी फूट का लाभ लेने की जुगत कांग्रेस और भाजपा दोनों करेंगे| ले कौन पायेगा ये प्रत्याशी पर निर्भर करेगा| वर्तमान में डोरे डालने का काम चल रहा है|
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फर्रुखाबाद में लोकसभा चुनाव जीतने या हारने के लिए हमेशा से ब्राह्मण वोटर ही जिम्मेदार रहा है| क्योंकि पंडित मूलचंद दुबे के बाद आज तक किसी भी पार्टी ने ब्राह्मण प्रत्याशी को नहीं लड़ाया| ऐसे में अपनी जाति का प्रत्याशी न होने पर इस जाति वर्ग का मतदाता स्वतंत्र रहता है और जिधर झुक जाता है उसी का पलड़ा भारी होता दिखाई देता है| ऐसे में इस वर्ग के वोट बैंक पर सभी पार्टी के प्रत्याशी और मुखिया अपनी पैनी निगाह लगाते रहे है| ठाकुर जयवीर को हाथी से टिकेट मिला है उन्हें ब्राह्मण वोट दिलाने के लिए अमृतपुर विधानसभा से बसपा में अनंत कुमार मिश्र को प्रभारी बना दिया है| समाजवादी पार्टी ने ब्राह्मणों को लुभाने के लिए सतीश दीक्षित को लाल बत्ती थमा दी है| कांग्रेस ने भी ब्राह्मणों को अपने पाले में रखने के लिए जिलाध्यक्ष अनिल तिवारी को बना दिया है| बात भाजपा की बचती है| जिसका वोट बैंक ब्राह्मण परम्परागत माना जाता है| मगर ये वही फर्रुखाबाद है जहाँ के ब्राह्मणों ने 1997 के लोकसभा उपचुनाव में “लाल किले पर कमल निशान, अबकी जीतेंगे सलमान” के नारे लगा भाजपा के विरोध में वोट कर दिया था| वो तो दुर्भाग्य था कांग्रेस का कि वो फिर भी नहीं जीत सकी| तो बात ब्राह्मणों की जो किसी एक का बंधुआ कभी नहीं रहा|
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सेंट्रल यूपी (इटावा, कन्नौज, एटा, मैनपुरी, शाहजहांपुर, बदायूं और हरदोई) में भाजपा के पास ब्रह्मदत्त द्विवेदी, प्रभा द्विवेदी और रामप्रकाश त्रिपाठी (तीनो दिवंगत) के बाद कोई ब्राह्मण चेहरा नहीं है जो आसपास के ब्राह्मण वोट को इकठ्ठा रख सके| ब्रह्मदत्त द्विवेदी की हत्या के बाद ही ब्राह्मणों ने कांग्रेस को भाजपा के मुकाबले वोट कर दिया था| अब भाजपा के पास इन इलाको में ब्राह्मणों को एकजुट करने के लिए एक ब्रांडेड ब्राह्मण नेता भी चाहिए| रही बात मोदी की तो उस जमाने में भी अटल जी चुनाव लड़ रहे थे फिर भी ब्राह्मण बिखर गया था| इसलिए ये गारंटी नहीं की ब्राह्मण भाजपा के साथ रहेगा अगर इस इलाके से ब्राह्मण प्रत्याशी नहीं लड़ाया, ऐसा भाजपा में चिंतन चल रहा है|
मेजर सुनील द्विवेदी का नाम भाजपा में अनायास ही नहीं चला है| हालाँकि वे टिकेट के अब तक आवेदनकर्ता भी नहीं है| मगर भाजपा में चल रहे विश्लेषण का सार यही है कि अब तक मेजर सुनील दत्त द्विवेदी टिकेट की दौड़ में सबसे आगे है| अमित शाह से लेकर अडवाणी तक और राजनाथ से लेकर कल्याण सिंह तक इस इलाके से ब्राह्मण प्रत्याशी मेजर सुनील दत्त द्विवेदी को उतारने के लिए उत्सुक है| कल्याण सिंह भी ब्रह्मदत्त द्विवेदी की हत्या के बाद दिलो में हुए जख्मो को भर कर एटा में ब्राह्मणों का वोट भाजपा के लिए एकजुट करने के प्रबल इच्छुक है ऐसा भाजपा सूत्रों का ही कहना है| पश्चिम से लेकर पूरब तक पूरे उत्तर प्रदेश में कभी ब्रह्मदत्त द्विवेदी ब्राह्मण नेता के रूप में पहचाने जाते थे उन्ही की पहचान का फायदा ब्रह्मदत्त के पुत्र सुनील दत्त द्विवेदी के रूप में भाजपा लेना चाहती है| यही लव्वोलुआव है मेजर के लोकसभा प्रत्याशी हो जाने का|