फर्रुखाबाद: आय, निवास और जाति के प्रमाण पत्र जारी करने के लिए फर्रुखाबाद की सदर तहसील में पिछले 10 दिन में ही 1 करोड़ से ज्यादा की घूस वसूल की गयी| जिलाधिकारी मुथु कुमार स्वामी को गुमराह करके ऑनलाइन बन रहे प्रमाण पत्रों को जारी करने की गति धीमी कर, मैनुअल प्रमाण पत्र जारी करने की हरी झंडी ली गयी और इसके बाद उनके जिले से बाहर जाते ही खुलकर घूस वसूली का खेल खेला गया| इस खेल में राजस्व विभाग के अधिकारी भी शक के घेरे से बाहर नहीं है क्यूंकि उनके पास लगातार शिकायतें पहुचने के बाबजूद इस घूस लेने और देने वालो पर अंकुश नहीं लग सका|
तहसीलदार सदर बहुत ही साफगोई से अपने घूंसखोर कर्मचारियो को बचाते नजर आते हैं। इसके बदले उन्हें कितनी मेवा मिलती है ये अन्दर की बात है| इस खेल को अंजाम दिया शातिर दिमाग लेखपालो और तहसील सदर में मौजूद दलालों ने| आखिर ऑनलाइन बन रहे प्रमाण पत्रों में बहुत कम आवेदक को 36000 वार्षिक अधिकतम आय का आय प्रमाण पत्र जारी हुआ वहीँ मैनुअल प्रमाण पत्रों में लगभग 12 हजार प्रमाण पत्र 24000 से 36000 हजार के बीच जारी हो गए| लगातार क्रम से जारी हुए ये प्रमाण पत्र भ्रष्टाचार और घूस वसूली की कहानी चीख चीख कर कह रहे है| लोकवाणी केंद्र जो ईमानदारी से जनता को बिना घूस के प्रमाण पत्र दिलवाना चाहते थे उन्हें समाप्त करने के लिए तहसील सदर में बड़ा खेल रचा गया| तहसीलदारों ने काम धीमे होने का रोना रोया| मगर 1 अगस्त से शुरू होने वाला काम खुद 17 अगस्त तक बंद रखा| बाबजूद इसके जब लोकवाणी जन सुविधा केन्द्रों ने प्रदेश में सबसे ज्यादा आवेदन लोड कर कीर्तिमान स्थापित कर दिया तो तहसील कर कर्मी और अफसर अपनी पीठ ठोकने में लग गए| मगर जब लोड आवेदनों के बदले प्रमाण पत्र जारी करने का वक़्त आया तो हवा निकल गयी| कभी 1 हस्ताक्षर स्टिक होने का रोना तो कभी कागज न होने का रोना| मगर इन सब रोने के पीछे था मात्र घूस वसूली पर लगता अंकुश|
मोहम्दाबाद में एक लोकवाणी केंद्र पर मैनुअल और फर्जी प्रमाण पत्र जारी होते तहसीलदार सदर ने पकड्वाये| ये नाटक भी मात्र वसूली तंत्र का हिस्सा था| सूत्र बताते हैं कि तहसीलदार लेखपालो को पहले से क्रम संख्या (इंटरनेट पर वेरिफिकेशन के लिए) जारी करते है जिसका वाकायदा रजिस्टर बनता है| खबर ये है कि ये क्रम संख्या बेचीं गयी| इन्ही बिकी हुई क्रम संख्या में से उक्त मोहम्मदाबाद लोकवाणी केंद्र मैनुअल प्रमाण पत्र जारी कर रहा था| मगर उसके दिमाग में लालच आ गया| उसने आवंटित क्रम संख्या से बहुत ज्यादा (लगभग 3000 हजार) प्रमाण पत्र जारी कर डाले| चर्चा है कि मोहम्दाबाद में इन प्रमाण पत्रों के लिए 1000 से 3000 वसूले गए| पकडे जाने के बाद तहरीर का नाटक हुआ| और तहसीलदार ने अचानक नरम रुख अपना लिया| खबर है कि उक्त लोकवाणी केंद्र संचालक और तहसीलदार के बीच समझौता हो गया| उसके द्वारा जारी फर्जी प्रमाण पत्रों को तहसीलदार द्वारा सही करार देने का वादा भी हुआ| जेएनई द्वारा ठगे गए आवेदको के प्रमाण पत्र फर्जी हो जाने और कन्या विद्या धन के आवेदनों की जाँच के दौरान इन्हें निरस्त होने की आशंका में बच्चियो के नुकसान की बात जब तहसीलदार सदर के समक्ष उठाई गयी तो उन्होंने तो उन्होंने खुद स्वीकार किया कि वे उन्हें सही करार कर देंगे| तहसीलदार का ये जबाब खुद गड़बड़ी में उनकी संलिप्तता का शक पैदा करता है|
पिछले 15 दिनों में ही लगभग 12 हजार मैनुअल प्रमाण पत्र जारी कर दिए गए| इन प्रमाण पत्रों पर अलग अलग अलग सीरीज के नंबर चदाये गए| बीच में बहुत से खाली पड़े क्रमांक घोटाले और भ्रष्टाचार की कहानी पर मुहर लगते है| ऐसा तब हुआ जब ऑनलाइन आवेदनों का लगभग 15 प्रमाण पत्र तहसीलदार के डिब्बे में जारी करने के लिए बंद पड़ा है| जिन आवेदको के आवेदन ऑनलाइन लंबित है उन्हें मैनुअल जारी करवाने के लिए प्रेरित किया गया| कन्या विद्या धन आवेदन की अंतिम तिथि नजदीक आते आते घूस के रेट बढ़ने लगे| 500 रुपये प्रति प्रमाण पत्र घूस से शुरू हुआ रेट 5000 तक पंहुचा| औसतन 1000 रुपये प्रति प्रमाण पत्र के हिसाब से 1 करोड़ से ज्यादा की घूस दलालों, लेखपालो और राजस्व अधिकारिओ की जेब तक पहुची| इस घूस के लिए किसी गरीब बच्ची ने अपने कुंडल गिरवी रखे तो कोई 5 रुपये सैकड़ा ब्याज पर पैसा लेकर आया|
ऐसे बटे नंबर लूट के लिए-
क्रम संख्या से |
क्रम संख्या तक |
वार्षिक आय |
2931215700 |
2931215710 |
30000 |
2931215600 |
2931215605 |
30000 |
2931215620 |
2931215633 |
30000 से 36000 |
29312152110 |
29312152116 |
30000 से 34000 |
29312152710 |
29312152710 |
30000 से 34000 |
29312152810 |
2931252819 |
30000 से 36000 |
उक्त सीरीज पर जारी हुए प्रमाण पत्र लगातार 30 हजार के आसपास है| यानि भी बेरोजगारी भत्ते में भी फिट और कन्या विद्या धन में भी फिट| इन प्रमाण पत्रों को जारी क्रेट समय सिर्फ घूस देखी गयी न की आवेदक की माली हालत| क्यूंकि उपरोक्त सूची में वे भी आवेदक है जिन्हें ऑनलाइन प्रमाण पत्र बनबाने पर 60 हजार से 1 लाख की आय का प्रमाण पत्र तहसीलदार ने थमाया है|
सख्त डीएम होने का वास्ता देकर बढ़ाए गए घूस के रेट
कुल मिलकर घूसतंत्र में लिप्त अधिकारी और कर्मचारियो के आँख का पानी इस कदर मर गया है कि घूस के लिए कुछ भी करेगा का मन्त्र जप रहा है| क्या फर्क है मायाराज और अखिलेश राज में| क्या इसी के सहारे मुलायम सिंह यादव को समाजवादी केंद्र में प्रधानमंत्री बने देखना चाहते है| लानत है जनप्रतिनिधियो पर जो रोज अखबारों में छपी भ्रष्टाचार और गरीब आदमी के लुटने की खबरों पर कोई संज्ञान नहीं लेते| क्या ये इस बात को साबित नहीं करता कि जनप्रतिनिधि भी खामोश होकर अपना हिस्सा समय से पा रहा है|
पूरे जनपद के भ्रष्ट अधिकारिओ और कर्मचारियो और नेताओ को मुथु कुमार स्वामी के जाने का इन्तजार है? मगर जो ईमानदारी की बात करते है वे खामोश क्यूँ है| जब खुद पर बीतती है तब समझ में आता है| अगर मुसीबत और दूसरे की जरुरत में मदद करना सीख ली जाए तो कोई दो राय नहीं कि ऐसे भ्रष्ट लोगो से निपटा जा सकता है| कुलमिलाकर एक लाइन समझ में आती है कि-
इमानदार राजा के चोर कुनबे से क्या उम्मीद रखिये|
कट जाएगी ये अँधेरी रात भी, बस जागते रहिये||