चारो घांय लाल बत्ती- मंत्री एक लालबत्ती अनेक

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फर्रुखाबाद: यूपी में अखिलेश राज आया है| सपा कार्यकर्ताओ में अपार उत्साह है, मंत्री गदगद है और विधायको के रिश्तेदारों के तो कहने ही क्या| अब आएगा सत्ता का मजा| अच्छा किया तो खुद का, वर्ना कह दो विरासत में मिला था| चंद दिनों पहले मायावती अपनी चुनावी जनसभा में यही कह रही थी- मगर जनता ने नहीं वख्शा, यूपी की गद्दी से उतार दिया| मौका समाजवादी पार्टी को दिया, नौजवान को कुर्सी पर बैठा देख प्रदेश के नौजवानों में एक सपना दिखा- बेहतर, इमानदार और जिम्मेदार सरकार| शुरुआत अच्छी नहीं हुई, शपथ लेते ही कार्यकर्ताओ ने मंच पर ही उत्साह दिखा दिया, किसी की शपथ अधूरी रह गयी तो फोटोशेशन का नंबर ही न लग सका|

खैर छोटी मोटी बात थी जनता का कोई नुकसान नफा न हुआ| अब मंत्रियो को लालबत्ती बाटी गयी तो फिर एक माह तक स्वागत सत्कार का ही खुमार| काम कब शुरू होगा पता नहीं| बजट पास होना है, प्रदेश का खजाना खाली है और चुनावी वादों की गठरी बहुत भारी है| मंत्र्यालय मिलें है तो उसमे जाँच और घोटालो का अम्बार है| चुनावी नैया डूब रही थी माया कहती रही कि भ्रष्टाचार में उनका कोई दोष नहीं उन्हें समाजवादी पार्टी से विरासत में मिला है मगर जनता ने हाथ नहीं बढ़ाया और माया डूब गयी|

अब सपा को भी वही भ्रष्टाचार विरासत में मिला है| प्रदेश के खाली खजाने के बाबजूद मंत्रियो के रसूक और जलवे के लिए सरकारी खर्चे में कोई कमी नहीं है| प्राथमिक शिक्षको के वेतन कई कई माह बाद मिलते है| बढ़ा हुआ वेतन कई साल से पेंडिंग है| योजनागत शिक्षा और स्वास्थ्य पर खर्च करने के लिए प्रदेश सरकार के पास अपने हिस्से वाला धन नहीं है| केंद्र सरकार के हिस्से को तीया पांचा खर्च कर पिछले 10 साल से काम चल रहा है| प्रदेश सरकार केंद्र सरकार को हिसाब नहीं दे पा रही लिहाजा धीरे धीरे उसकी सहायता कम हो चुकी है|

जानते हैं इस साल सभी बच्चो को वजीफे का पैसा नहीं मिला है, बच्चो को स्कूल में बटने वाली दो ड्रेस में से एक ही बट पायी, अरबो की परियोजनाए पैसा न होने के कारण अधूरी पड़ी है और उनकी प्रोजेक्ट की लागत बढ़ रही है| इसकी चिंता न मुख्य सचिव को थी और न प्रमुख सचिव को| सबके निजी खजाने घाटे में नहीं थे लिहाजा प्रदेश में सरकारी धन और घूसखोरी की अराजकता सी हो गयी है| इन सबमे भी मंत्री और सरकारी नौकर घूसखोरी करते गए वो जुदा बात है| पांच साल बाद इनसे भी हिसाब ले लेगी जनता| मगर इन सबमे उसे क्या मिलेगा-?

अब जो कुर्सी पर पहुचे है उनके हाल भी कुछ खास जुदा नहीं दीखते| एक एक राज्य स्तर का मंत्री आधा दर्जन लाल बत्तियो के साथ अपने अपने जिलों में स्वागत सत्कार के लिए पंहुचा है लखनऊ से| एक नमूना- उत्तर प्रदेश के होमगार्ड, पीआरडी और व्यवसायिक शिक्षा राज्य मंत्री नरेन्द्र सिंह यादव शनिवार को मंत्री बन्ने के बाद फर्रुखाबाद अपने गृह जनपद पहुचे तो उनके साथ काफिले में 6 लाल बत्ती कार नजर आई| कमाल है भाई एक मंत्री को चलने के लिए कितनी कार चाहिए| ये कार जनता के टैक्स से चलती है| कोई खास फरक नहीं नजर आया आज, मगर मंत्रीजी ने भरोसा दिलाया कुछ समय काम करने दीजिये फरक नजर आएगा सपा और बसपा की सरकार का| अगर ये नमूना राज्य मंत्रीजी का है तो कैबनेट मंत्री की कल्पना खुद कर लीजिये वो कितनी लालबत्ती से घर पहुचे होंगे| सारा पैसा इन्ही पर खर्च हो जायेगा तो बच्चो को वजीफा कहाँ से मिलेगा? गरीब की बिटिया तो प्योंदा (पैबंद) लगा हुआ ही कमीज पहन कर स्कूल जाएगी न!

दिमाग को झकझोर देने वाली बात है जिस मोहकमे के मंत्री बने है उस मोहकमे के कर्मिओ को तीन साल से वर्दी नहीं मिली है| तीन साल पहले वर्दी का कपडा मिला था मगर सिलाई के पैसे इतने मिले जितने में एक कच्छा भी नहीं आता, मालूम है केवल 32 रुपये| और ऐसे खस्ताहाल विभाग के मंत्री अगर 6-6 लालबत्तियो के साथ दिखेंगे तो होमगार्ड बोलेगा ही- हमारे लिए (होमगार्ड) पैसे नहीं है और मंत्रीजी की मौज मस्ती और जलवे के लिए कोई कमी नहीं!

और जुदा बात ये कि नियम और ईमानदारी से काम करने की तो बात ही छोड़ दीजिये| केंद्रीय मोटर वाहन अधिनियम के मुताबिक राज्य स्तर के एक मंत्री को 1 लालबत्ती मिलती है जिसमे भी वो जलती बुझती नहीं होनी चाहिए| जब मंत्री कार पर न हो तब लाल बत्तिया ढकी होनी चाहिए, राष्ट्रीय झंडा उतार कर डंडा ढक दिया जाना चाह्जिये| कितना कुछ अवैध और गैरकानूनी काफिला था| देश के सविधान और कानून की धज्जियाँ उड़ रही थी| सपाई उत्साह में थे मगर सरकारी नौकर लालबत्ती के आगे क्यूँ नतमस्तक थे? राष्ट्रीय झंडे लगी कार में बच्चे मौज कर रहे थे- घोर गैरकानूनी| और इन सबको पुलिस के अफसर और जिले प्रशासनिक अफसर ताक रहे थे- जिसे कहते है आत्मबल का खो जाना! अभी कोई आम जन होता तो पुलिस के साहब क्या करते राम ही जाने..