बीएड अवैध वसूली के खिलाफ छात्र सडको पर- जाम व् तोड़फोड़

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फर्रुखाबाद: इसे भारत का दुर्भाग्य ही कहेंगे की दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में नेता सरकार और प्रशासनिक तंत्र तीनो मिल कर जनता को ही लूटने में लगे हैं| छात्रो और मीडिया की तमाम कोशिशो के बाबजूद न तो प्रशासन और न ही उत्तर प्रदेश सरकार बीएड की अवैध फीस वसूली रोक पाया| नतीजा बीएड की वार्षिक परीक्षा के पहले दिन जिले के बीएड कॉलेज में जमकर करोडो की अवैध फीस प्रवेश पत्र देने के नाम पर वसूले गए| कुछ नगद तो कुछ उधार का खेल चला| मगर जिले के कमालगंज कस्बे के आर पी डिग्री कॉलेज में छात्रो में इस अवैध फीस वसूली को लेकर आक्रोश भड़क गया| छात्र छात्राएं कानपूर फर्रुखाबाद मुख्य मार्ग और अपने ही कॉलेज के सामने सड़क पर धरने पर बैठ गए और जाम लगा दिया| आक्रोशित छात्रों द्वारा तोड़फोड़ की भी खबर है|

जिस तरह से पूरे साल भर छात्रो और मीडिया के लिखने चिल्लाने के बाद भी सरकार और कॉलेज प्रबन्धन मिल कर इस लूटतंत्र को नहीं रोक रहे थे उससे ये परिणाम तो संभावित ही था| सरकार कहेगी कि हमने जाँच करायी| जाँच की रिपोर्ट दी तो फिर कारवाही क्यूँ नहीं हुई| अगर उत्तर प्रदेश सरकार को जिले के आलाधिकारियो की रिपोर्ट पर कारवाही कर व्यवस्था नहीं सुधारनी थी तो बेकार में जिले में अधिकारिओ की तैनाती कर जनता का पैसा बर्बाद किया जा रहा है| अगर विभागीय सचिवो, विशेष सचिवो और मुख्य सचिवो को जिले से मिली रिपोर्ट के बाद मंत्रियो और सत्ताधारी नेताओ की पैरवी और नोटों के बंडलो के आगे नतमस्तक ही होना है तो लोतान्त्रिक प्रणाली के इस नाटक को उत्तर प्रदेश में बंद कर देना चाहिए| जनता में आक्रोश भड़कने के कारण पर विचार कर सरकार को चिंचित होना चाहिए वर्ना कल को जनता ने चुनाव के दौरान ये चिंता सरकार को चारो खाने चित्त होने में देर नहीं लगेगी|

फिलहाल कमालगंज के आर परर डिग्री कॉलेज में पीएसी की तैनाती कर दी गयी है| छात्रो का आरोप है कि कॉलेज द्वारा किसी भी प्रकार की फीस कॉलेज स्तर पर लेने से मना होने के उत्तर प्रदेश सरकार के आदेश के बाबजूद इस कॉलेज में ९०-९० हजार अतिरिक्त फीस वसूली गयी और परीक्षा से ठीक एक दिन पहले ये फरमान सुना दिया गया कि जिनकी अवैध फीस बाकी रह गयी है वो जमा करने और १० हजार रुपये प्रवेश पत्र के जमा करने के बाद ही छात्र परीक्षा दे सकेंगे| इस बात से आक्रोशित छत्र सुबह १० बजे कॉलेज के गेट पर इक्कट्ठे हुए और अन्याय के विरुद्ध विरोध शुरू कर दिया| इस पूरे खेल में कानपूर यूनिवर्सिटी की भी बराबर की भागीदारी रही| यूनिवर्सिटी ने प्रवेश पात्र सीधे छात्रो को वेबसाईट पर उपलब्ध न कराकर कॉलेज को उपलब्ध कराये| हालाँकि उपलब्ध वेबसाईट के माध्यम से ही कराये मगर ये प्रवेश इस तरह से वेबसाईट पर लोड किये गए कि कोई छात्र इन्हें सीधे नहीं डाउनलोड नहीं कर सका| केवल कॉलेज के लोगिन पासवर्ड द्वारा डाउनलोड कराने के षड्यंत्र रचा गया|