फर्रुखाबाद| कांशीराम आवास योजना, उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री मायावती द्वारा शुरू की गयी गरीबो के लिए निशुल्क आवास योजना थी| इसमें ऐसे लोगो को भवन दिए जाने थे जो आवास विहीन थे, गरीब थे और जरूरतमंद थे| मगर भ्रष्टाचार की भेट चड़ी योजना में सीड़ी दर सीड़ी घुन लगता चला गया| पहले ठेकेदारों ने घटिया निर्माण किया, कई जगह खुलासे हुए जाँच हुई और कई अधिकारी नपे| फिर जब भवन आवंटन हुआ तो दलालों के माध्यम से आवंटन करने में भूमिका अदा करने वाले सरकारी नौकरों ने योजना की बाट लगा दी|
तमाम कमजोर गैर पहुच वाले कई गरीब मुह ताकते रह गए और गैर जरूरतमंद और जुगाड़ वाले मकान पा गए| अब जिसके पास मकान था उसे भी 50 हजार तक की घूस खर्च कर ढाई लाख का मकान मिल गया इतना ही नहीं गरीबी का पैमाना घूसखोरी के आगे बदलता चला गया और कई कार वाले भी गरीब बनकर मकान पा गए| फिर शिकायत हुई तो कई बार सूची पलटी गयी, गैर पात्र हटाये गए मगर पात्रता की जाँच में भी कई सत्ता का मजा उठा गए और मकान पर काबिज बने रहे| मगर आवंटन के कई महीनो बाद भी आवासों में पड़े ताले और कइयो में रह रहे किरायेदार सरकारी पारदर्शिता और ईमानदार सरकार पर सवाल उठा रहे है|
मंगलवार 21 दिसम्बर 2010 को जब जिलाधिकारी टाउनहाल कालोनी का निरीक्षण कर रही थीं, तभी उन्होंने परियोजना अधिकारी डूडा जेडए खान से कहा कि कालोनी आवंटन की जिम्मेदारी तुम्हारे ऊपर थी, अपात्रों को आवास आवंटित हुए हैं तो उसकी गलती भी तुम्हारी होगी। पास में ही झोपड़ी डालकर रह रहीं कुछ गरीब महिलाएं भी आ गयीं, उन्होंने जिलाधिकारी से कालोनी में घर दिलाने की मांग की।
कांशीराम शहरी गरीब आवास योजना में अपात्रों को आवास आवंटित करने पर नाराज जिलाधिकारी ने परियोजना अधिकारी डूडा की क्लास लगा दी। उन्होंने एलआईयू व मऊदरवाजा थानाध्यक्ष को भी जांच कर अपात्रों की रिपोर्ट भेजने का निर्देश दिया। जिलाधिकारी ने परियोजना अधिकारी डूडा से कहा कि महिलाएं गरीब हैं, टाउनहाल पर 6 आवास खाली हैं उन्हें तुरंत इन महिलाओं को दें व पात्रता की जांच भी कर लें। उन्होंने एलआईयू से भी जांच कराने को कहा। उन्होंने मऊदरवाजा थानाध्यक्ष कमरूल हसन से कहा कि वह स्वयं जांच कर लें। कालोनी में अपात्र व्यक्ति मिलें तो सीधे हमें रिपोर्ट दें। वह उन्हें निरस्त करा देंगी।
अपात्रों के खिलाफ कार्रवाई शुरू
नगरीय विकास अभिकरण के परियोजना अधिकारी जेडए खान ने बताया कि जिन आवास में ताले पड़े हैं, तीन दिन में यदि आवंटी निवास करने नहीं पहुंचे तो निरस्तीकरण कर दिया जायेगा। तथ्यों को छिपाकर आवास आवंटन कराने वाले स्वयं अपना आवास खाली कर दें अन्यथा उनके खिलाफ विधिक कार्रवाई होगी।