उरई(जालौन):प्राइमरी व जूनियर विद्यालयों में बच्चों की सेहत सुधारने के लिए मिड-डे मील के साथ दूध देने की योजना बनी है। इसके लिए विद्यालयों में जल्द ही भैंस पालने की तैयारी है। भैंस पालन के लिए बाकायदा सहायक अध्यापक को रखरखाव व दूध दुहने का प्रशिक्षण दिया जाएगा। योजना के तहत 25 बच्चाें पर एक भैंस पाली जाएगी। स्कूल बंद होने के बाद भैंस की देखभाल के लिए संविदा पर एक कर्मचारी तैनात किया जाएगा, जिसकी नियुक्ति की जिम्मेदारी ग्राम प्रधान की होगी। अगर सरकार ने जल्द फैसला लिया तो जुलाई से शिक्षा सत्र शुरू होने पर यह योजना क्रियान्वित हो जाएगी। उधर, शिक्षा महकमे के बड़े अफसरों को अंदेशा है कि शिक्षक इस योजना का विरोध कर सकते हैं। इसके चलते आला अधिकारी योजना के क्रियान्वयन के बाबत पूछने पर गोलमोल जवाब दे रहे हैं।
प्रदेश में सत्तारूढ़ सपा सरकार बच्चों के स्वास्थ्य संवर्द्धन के लिए चिंतित है। इसके लिए बीते दिनों कैबिनेट की बैठक में बच्चों को मिड-डे मील के साथ दूध देने का प्रस्ताव रखा गया था। सूत्रों की माने तो सरकार इसको प्रदेश भर में जल्द लागू करने के मूड में है। इस योजना के तहत मिड-डे मील के साथ ही बच्चे को एक गिलास दूध दिया जाएगा। दूध में मिलावट न हो इसके लिए सरकार ने एक मसौदा तय करने की सोची है, जिसके तहत विद्यालय में बच्चों की संख्या के अनुपात में भैंस पालने की बात सामने आ रही है। चर्चा है कि 25 बच्चों पर एक भैंस पालने की योजना बन रही है। इसके लिए बाकायदा सहायक अध्यापक को प्रशिक्षण देने की भी योजना है। सहायक अध्यापकों को भैंस के रखरखाव व दूध दुहने का प्रशिक्षण दिया जाएगा। चारा पानी का इंतजाम भी शिक्षक को करना होगा, जिसका बजट मुहैया कराया जाएगा।यही नहीं विद्यालय बंद होने के बाद भैंस की देखभाल के लिए एक संविदा कर्मी की तैनाती भी की जाएगी, जिसके चयन की जिम्मेदारी ग्राम प्रधान की होगी। संविदा कर्मचारी को एक हजार रुपये मानदेय देने की योजना है।
विद्यालयों में बच्चों को मिड-डे मील के साथ दूध देने की योजना बनी है। इसके लिए भैंस भी पालनी पड़ सकती है, लेकिन उनकी देखभाल कौन करेगा, यह अभी तय नहीं है। – अजीत कुमार सिंह, बेसिक शिक्षाधिकारी